2,740 लम्बित प्रकरणों का निस्तारण कर रिकार्ड बनाया

राजस्थान राज्य प्रदूषण नियन्त्रण मण्डल

नीतिगत निर्णयों ने कम की पेन्डेंसी- अध्यक्ष
जयपुर। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियन्त्रण मण्डल द्वारा जनवरी माह में 2,740 लम्बित आवेदनों का निस्तारण कर रिकार्ड कायम किया है। इससे पूर्व प्रतिमाह 1,800 लम्बित आवेदनों का ही निस्तारण किया जा रहा था।
मण्डल के अध्यक्ष पवन कुमार गोयल ने बताया कि जनवरी माह में कुल लम्बित प्रकरणों के 37 प्रतिशत से अधिक आवेदनों का निपटारा कर उल्लेखनीय कार्य किया है जिससे न केवल उद्योगों को वर्षो से लंबित प्रकरणों का निस्तारण हुआ है अपितु प्रकरण निस्तारित होने से विभिन्न प्रकार के उद्योगों, होटल, हॉस्पिटल, माइन्स, क्रेशर तथा बड़ी बिल्डिंग परियोजनाओं की की गतिविधियों में भी गति आई है।
उन्होंने बताया कि माह जनवरी, 2020 में निस्तारित 2,740 आवेदनों में से 1,350 आवेदन 4 माह की निर्धारित समय सीमा पार कर चुके थे जिनमें से 289 आवेदन एक वर्ष से अधिक समय से लम्बित थे। वर्ष 2019 में जनवरी माह से सितम्बर माह तक राजस्थान राज्य प्रदूषण नियन्त्रण मण्डल में 15,231 आवेदन प्राप्त हुये, परन्तु इस अवधि में 15,930 आवेदनों का ही निस्तारण किया गया, जबकि विगत 4 माह (अक्टूबर, 2019 से जनवरी, 2020) में राज्य मण्डल को 4,450 आवेदन प्राप्त हुये तथा मण्डल द्वारा 7,052 आवेदनों का निस्तारण किया गया है जो प्राप्त आवेदनों की तुलना में डेढ़ गुणा से भी अधिक है।
गोयल ने कहा कि मण्डल द्वारा लगातार प्रक्रिया में सरलीकरण कर आवेदनों के निपटारा करने की प्रक्रिया को सुगम बनाया जा रहा है और यही वजह है कि लम्बित आवेदनों का तेजी से निस्तारण करना संभव हो सका है। उन्होंने कहा कि मण्डल में आवेदन करने से लेकर उसके निस्तारण तक की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है, इससे निवेशकों, उद्योगपतियों तथा आम लोगों को मुख्यालय तथा क्षेत्रीय कार्यालयों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं पडती है।
मण्डल अध्यक्ष ने बताया कि लम्बित प्रकरणों के निस्तारण के लिए नीतिगत स्तर पर महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। इसके लिए उन्होंने समीक्षा बैठकें आयोजित की तथा मुद्दों की प्रभावी मोनिटरिंग के साथ-साथ क्षेत्रीय कार्यालयों के अधिकारियों के साथ विडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से निरन्तर फीडबैक लिया। उन्होंने कहा कि मण्डल द्वारा आवेदनों के निस्तारण में देरी की वजहें खोजकर उन्हें दूर करने के हरसंभव प्रयास किये गये। इसमें प्रक्रिया के सरलीकरण और नियमों की पालना का पूरा ध्यान रखा गया है। मण्डल में लम्बे समय से विचाराधीन आवेदनों के ”बैक लॉग“ को समाप्त करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए जहाँ लम्बित सम्मति एवं प्राधिकार आवेदनों के निस्तारण का काम मुख्यालय के स्थान पर क्षेत्रीय कार्यालयों को सौंपा गया है ताकि निस्तारण का काम त्वरित गति से हो सके, वहीं कुछ उद्योगों को स्वीकृतियों के नियमों में शिथिलता भी प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त स्वीकृतियां देने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश भी जारी किये गये हैं, जिससे किसी भी प्रकार की दुविधा की स्थिति से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए क्षेत्रीय अधिकारियों से सम्मति एवं प्राधिकार के निलम्बन का अधिकार समाप्त कर दिया गया है। इससे सम्मति रद्द करने से पूर्व उद्योगों को अपना पक्ष मुख्यालय के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर भी मिलेगा।