सरकारी गोदामों में महिला एवं बाल विकास विभाग की 4 करोड़ मूल्य की दाल लंबे समय तक पड़े रहना लापरवाही की पराकाष्ठा है- मानसिंह गुर्जर
गंगापुर सिटी। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं, किशोरियों एवं 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों को दी जाने वाली दाल को समय पर वितरण नहीं करने व राज्य सरकार द्वारा समय पर आदेश नहीं दिए जाने के कारण करोड़ों रुपयों के मूल्य की दाल खराब होने एवं अवधि पार दाल के वितरण से दाल प्राप्त करने वाले पात्रों को होने वाले नुकसान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व विधायक मानसिंह गुर्जर ने कहा कि अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत राजस्थान में चरितार्थ हो रही है।
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पूर्व विधायक गुर्जर ने कहा कि 6 माह तक जिले के आला अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग का एक बार भी रिव्यू नहीं किया जाना, यह दुर्भाग्य की बात है। अगर जिला स्तर पर निगरानी एवं मॉनिटरिंग होती तो दाल को खराब होने से बचाया जा सकता था। राज्य सरकार को रिमाइंडर करवाया जा सकता था। ना तो राज्य स्तर पर और ना ही जिला स्तर पर गरीब एवं जरूरतमंद गर्भवती महिलाओं को मिलने वाले पोषक आहार को चेक किया गया। सरकार के गैर जिम्मेदाराना कार्मिकों द्वारा कोरोना महामारी में उनके स्वास्थ्य की चिंता किए बिना अवधि पार दाल का वितरण उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना है, जो अपराध की संज्ञा में आता है।
जिन्होंने भी गरीब बच्चों व गर्भवती महिलाओं के साथ ये कृत्य किया है उन पर मामला दर्ज कर कारवाई की जानी चाहिए। इस घोटाले की जांच होनी चाहिए। भविष्य में इस प्रकार की घटना न हो इसके पुख्ता इंतजाम किए जाए।
गुर्जर ने कहा कि मजे की बात तो ये है कि विभाग के पास ना तो जिला हेडक्वार्टर से कितनी दाल वितरण हुई और आंगनबाडियो को कितनी बांटी गई, इसकी कोई जानकारी नहीं है जबकि जि़ले को 5 लाख 72 हजार 25 ग्राम (किलो) दाल आवंटित हुई है। इससे भ्रष्टाचार की बू आती है।