तमिलनाडु में नहीं होगी NEET परीक्षा, 12वीं के नंबर पर मिलेगा मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन, विधेयक पारित

चेन्नई: तमिलनाडु विधान सभा में एक विधेयक पारित कर दिया गया जिसके कानून बनने के बाद राज्य में नीट एग्जाम (Neet Exam) आयोजित नहीं किया जाएगा. सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल कॉलेजों में 12th के मार्क्स के आधार पर एडमिशन दिया जाएगा. साथ ही बिल के मुताबिक सरकारी स्कूलों के स्टूडेंट्स को 7.5% हॉरिजेंटल आरक्षण का लाभ भी दिया जाएगा. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन (CM MK Stalin) ने बिल पेश किया जिसका कांग्रेस, AIADMK, PMK और अन्य दलों ने समर्थन किया.

BJP ने किया विरोध

विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में ग्रेजुएट स्तर के कोर्सेज में मेडिकल, डेंटल केयर, इंडियन मेडिसिन और होम्योपैथी में क्लास 12th के मार्क्स के आधार पर एडमिशन दिया जाएगा. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट किया. इससे पहले सदन की कार्यवाही शुरू होते ही, विपक्षी दल के नेता के. पलानीस्वामी ने अपने गृह जिले सलेम में रविवार को आत्महत्या करने वाले 19 वर्षीय छात्र धनुष का मुद्दा उठाया और सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि DMK ने नीट (NEET) को ‘रद्द’ करने का वादा किया था लेकिन यह नहीं किया गया और बहुत से छात्र इसके लिए तैयार नहीं थे. पलानीस्वामी के कुछ बयानों को विधान सभा अध्यक्ष एम अप्पवु ने रिकॉर्ड से हटा दिया.

AIADMK और DMK आमने-सामने

विपक्षी दल के विधायक काले बिल्ले लगा कर आए थे. उन्होंने पलानीस्वामी के नेतृत्व में सदन से वॉकआउट किया. सलेम के पास एक गांव में रहने वाले धनुष ने रविवार को नीट परीक्षा में उपस्थित होने से कुछ घंटे पहले आत्महत्या कर ली थी क्योंकि उसे एग्जाम में फेल होने का डर था. इस घटना के बाद से AIADMK और DMK के बीच आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गया है. राज्य सरकार का आरोप है कि इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है.

हाई लेवल कमेटी के सुझाव पर हुआ फैसला

मुख्यमंत्री एम.के स्टालिन (MK Stalin) ने कहा कि तमिलनाडु में पहली बार नीट (NEET) का आयोजन तब किया गया जब पलानीस्वामी मुख्यमंत्री थे और यह उस समय भी नहीं किया गया था जब जयललिता मुख्यमंत्री थीं. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में जिन छात्रों ने भी आत्महत्याएं की वह पलानीस्वामी के मुख्यमंत्री रहते हुई. विधेयक में उच्च स्तरीय समिति के सुझावों का हवाला देते हुए कहा गया है कि सरकार ने ग्रेजुएशन लेवल के मेडिकल कोर्सेस में एडमिशन के लिए नीट की बाध्यता समाप्त करने का निर्णय लिया है ऐसे कोर्सेज में योग्यता परीक्षा में प्राप्त मार्क्स के आधार पर एडमिशन दिया जाएगा.