अजमेर शरीफ दरगाह, अजमेर: सूफी संत की मजार पर हर दिल की दुआ

दरगाह परिसर की सफेद संगमरमर से बनी भव्य संरचना
Explore Ajmer Sharif Dargah in Rajasthan — the revered Sufi shrine of Khwaja Garib Nawaz. Discover its history, architecture, Urs festival, and spiritual significance.

Ajmer Sharif Dargah Ajmer राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित अजमेर शरीफ दरगाह भारत के सबसे प्रसिद्ध सूफी तीर्थस्थलों में से एक है। यह दरगाह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती — जिन्हें “ख्वाजा गरीब नवाज़” कहा जाता है — की मजार है। 12वीं शताब्दी में फारस से आए इस संत ने अजमेर को अपना निवास बनाया और प्रेम, करुणा और भाईचारे का संदेश फैलाया।

दरगाह का निर्माण सुल्तान घियासुद्दीन खिलजी ने 1465 में करवाया था, और बाद में मुगल सम्राट अकबर ने इसे भव्य रूप दिया। दरगाह परिसर में बुलंद दरवाज़ा, निज़ाम गेट, शाहजहानी गेट और जन्नती दरवाज़ा जैसे प्रमुख प्रवेश द्वार हैं। सफेद संगमरमर की दीवारें, सुनहरे दरवाज़े और कुरान की आयतों से सजी मस्जिद इसकी आध्यात्मिक भव्यता को दर्शाती हैं।

Ajmer Sharif Dargah Ajmer

यह दरगाह सभी धर्मों के लोगों के लिए खुली है। श्रद्धालु यहाँ चादर चढ़ाते हैं, फूल अर्पित करते हैं और दुआ माँगते हैं। माना जाता है कि यहाँ सच्चे दिल से की गई दुआ कभी खाली नहीं जाती। हर साल इस दरगाह में “उर्स” का आयोजन होता है — यह ख्वाजा साहब की पुण्यतिथि है, जो इस्लामी कैलेंडर के सातवें महीने में मनाई जाती है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु यहाँ पहुँचते हैं और सूफी कव्वालियों की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो जाता है।

Ajmer Sharif Dargah Ajmer

दरगाह प्रतिदिन सुबह 4:00 बजे (गर्मी में) और 5:00 बजे (सर्दी में) खुलती है और रात 9:00–10:00 बजे तक खुली रहती है। यहाँ की “रौशनी दुआ” शाम 6:00 बजे होती है, जो विशेष रूप से लोकप्रिय है।

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अजमेर शरीफ दरगाह न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब, सूफी परंपरा और सांस्कृतिक समरसता का जीवंत प्रतीक है।