Artificial Rain Jaipur की दिशा में राजस्थान सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। 1 सितंबर को जयपुर के रामगढ़ बांध पर कृत्रिम वर्षा का सफल प्रयोग किया गया, जिसमें स्वदेशी ड्रोन और AI तकनीक का उपयोग हुआ।
Drone Rain Experiment Jaipur: 1 सितंबर 2025, सोमवार को रामगढ़ बांध पर कृत्रिम बारिश कराने का तीसरा प्रयास सफल रहा। एक्सेल-1 कंपनी ने हाइड्रोट्रेस प्लेटफॉर्म और स्वदेशी ड्रोन की मदद से 0.8 मिमी बारिश दर्ज की, जो GenXAI के सहयोग से संपन्न हुआ। इससे पहले 12 और 18 अगस्त को किए गए प्रयास तकनीकी कारणों से असफल रहे थे।
☁️ तकनीकी प्रक्रिया: क्लाउड सीडिंग
- AI-संचालित तकनीक से क्लाउड माइक्रो फिजिक्स में सुधार
- रसायन: सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड, ड्राई आइस
- प्रभाव: सूक्ष्म जल बूंदों को भारी बनाकर वर्षा उत्पन्न
- शर्त: बादलों में पर्याप्त नमी होना आवश्यक
🚁 पहले दो प्रयास क्यों रहे असफल? Drone Rain Experiment Jaipur
| तिथि | कारण |
|---|---|
| 12 अगस्त | GPS सिस्टम प्रभावित, ड्रोन कनेक्शन टूटा |
| 18 अगस्त | ड्रोन कंट्रोल से बाहर, खेतों में गिरा |
🗣️ राजनीतिक प्रतिक्रिया
“यह राजस्थान के जल प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। मेक इन इंडिया नवाचार से भारत की जलवायु सहनशीलता और आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।” — डॉ. किरोड़ी लाल मीणा
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📍 प्रभाव क्षेत्र Drone Rain Experiment Jaipur
- जयपुर शहर और ग्रामीण इलाकों में हल्की वर्षा
- कंपनी ने 0.8MM वर्षा दर्ज की, जबकि स्थानीय स्तर पर इंच भर बारिश की सूचना
इस प्रयोग को एक्सेल-1 कंपनी ने GenXAI के सहयोग से अंजाम दिया। क्लाउड सीडिंग तकनीक के तहत सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड जैसे रसायनों को बादलों में छोड़ा गया, जिससे सूक्ष्म जल बूंदें भारी होकर वर्षा में परिवर्तित हो गईं। इससे पहले 12 और 18 अगस्त को किए गए प्रयास तकनीकी कारणों से असफल रहे थे। इस बार 0.8MM वर्षा दर्ज की गई, जिससे जयपुर शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में हल्की बारिश हुई।
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने इसे जल प्रबंधन में एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि यह मेक इन इंडिया नवाचार भारत की जलवायु सहनशीलता को बढ़ावा देगा। इस तकनीक से भविष्य में सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राहत मिल सकती है।
