जयपुर: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी ने कहा कि अयोध्या में बनने वाला श्री Ayodhya Ram Temple केवल मंदिर तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि संसार की सांस्कृतिक राजधानी बनेगा। इसी के अनुरुप तीर्थ क्षेत्र के विकास की योजना बनाई है। Ayodhya Ram Temple निर्माण विशुद्ध रूप से गैर राजनीतिक होगा। इसे विश्व के सभी रामभक्तों की आस्था और भक्ति केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके तहत मंदिर के अनुरूप पूरी Ayodha का विकास किया जाएगा।
Ram Temple in Ayodhya
स्वामी गोविंद देव गिरी बुधवार को जयपुर में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। जयपुर प्रवास के दौरान उन्होंने माहेश्वरी स्कूल में मंदिर निर्माण में समर्पण निधि के लिए आयोजित प्रबुद्धजन गोष्ठी को संबोधित किया। इस गोष्ठी में प्रदेश के प्रमुख संत भी शामिल हुए। इसके बाद राजस्थान क्षेत्र समर्पण निधि अभियान समिति और मार्गदर्शक मंडल की बैठक ली। प्रबुद्धजन गोष्ठी में राजस्थान क्षेत्र की अभियान समिति के अध्यक्ष ताराचंद गोयल ने मंदिर निर्माण के लिए 1 करोड़ 11 लाख 11 हजार 111 रुपए देने की घोषणा की। वहीं समिति के सदस्य एसके पोद्दार ने उन्हें 1 करोड़ का चेक भेंट किया।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए गोविंद गिरी महाराज ने बताया कि अभियान के तहत देश के 5 लाख से अधिक गांव-ढाणियों में 11 करोड़ परिवारों से सम्पर्क कर राम मंदिर के लिए सहयोग राशि एकत्र की जाएगी। देश में 15 जनवरी से 27 फरवरी निधि समर्पण अभियान चलेगा। उन्होंने बताया कि अयोध्या में Ayodhya Ram Temple 30 साल पहले तैयार किए गए नक्शे के अनुरूप ही होगा, लेकिन भव्यता के लिए इसका विस्तार किया गया है। मंदिर की ऊंचाई 130 फीट से बढ़ाकर 161 फीट की गई है। तीन के बजाय अब पांच शिखर बनाए जाएंगे। परिसर में यज्ञशाला, सत्संग भवन, संग्रहालय, अनुसंधान केंद्र आदि बनाए जाएंगे। मुख्य मंदिर के निर्माण में लोहे और सीमेंट का उपयोग नहीं किया जाएगा। इसके लिए देश की नामी आईआईटी संस्थानों के 8 विशेषज्ञों की कमेटी बनाई गई है। उन्होंने बताया कि मंदिर का निर्माण प्राचीन भारतीय वास्तुकला के आधार पर ही किया जाएगा। इस पूरी योजना में 1100 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य लिया गया है। निर्माण में धन की जरूरत और लोगों की राम मंदिर में आस्था को देखते हुए विहिप को समर्पण निधि अभियान का जिम्मा सौंपा गया है। अभियान के तहत विहिप पांच लाख गांवों में 11 करोड़ तक लोगों तक पहुंचेंगी। इसके लिए दस रुपये, सौ रुपये और एक हजार रुपये के सहयोग निधि के कूपन तैयार किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर की पुर्नस्थापना के लिए श्रीराम भक्तों ने 492 वर्षों तक अनवरत संघर्ष किया है। अतीत के 76 संघर्षों में 4 लाख से अधिक राम भक्तों ने अपना बलिदान दिया। लगभग 36 वर्षों के श्रृंखलाबद्ध अभियानों के फलस्वरूप संपूर्ण समाज ने लिंग, जाति, भाषा, संप्रदाय, क्षेत्र आदि भेदों से उपर उठकर एकात्मभाव से श्रीराम मंदिर के लिए अप्रतिम त्याग और बलिदान किया। परिणामस्वरूप 9 नवंबर 1989 को श्रीराम जन्मभूमि पर शिलान्यास पूज्य संतों की उपस्थिति में अनुसूचित समाज के बंधु कामेश्वर चैपाल ने किया। आस्था का यह विषय न्यायालयों की लंबी प्रक्रिया में फंस गया था। तथापि उच्चतम न्यायालय की 5 सदस्यीय पीठ ने 9 नवंबर 2019 को सर्वसम्मति से 14 हजार वर्गफीट भूमि श्रीराम लला की बताई और इसके पक्ष में फैसला दिया। भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर 5 फरवरी 2020 को श्रीराम जन्मभूमि के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास का गठन किया। 5 अगस्त 2020 को सदियों के स्वप्न संकल्प सिद्धि का अलौकिक मुहूर्त हुआ। उन्होंने बताया कि राजस्थान क्षेत्र में निधि समर्पण अभियान के लिए पूर्व तैयारी के निमित्त शहरों में बस्तियों अनुसार प्रत्येक घर के द्वार तथा ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक गांव-ढाणी तक पहुंचने के लिए टोलियां बनाई है। संपर्क पर निकलने वाली टोलियों का वर्तमान में खंड व नगर स्तर पर प्रशिक्षण चल रहा है।
Ram Raja Temple in Ayodhya
निधि समर्पण के साथ राम भक्ति के साथ राष्ट्र भक्ति को साकार करें- स्वामी गोविंद देव गिरी
जयपुर, 23 दिसम्बर । विश्व हिन्दू परिषद अयोध्या में बनने वाले श्रीराम मंदिर के निर्माण में प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचने के लिए सबसे बड़ा जन सम्पर्क अभियान चलाने की तैयारी में जुट गया है। प्रत्येक व्यक्ति में रामत्व के जागरण के लिए संतों से भी सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वाहन करने के लिए बुधवार को विहिप की ओर से श्री रविनाथ कुंज आश्रम में सन्त सम्मेलन व मार्गदर्शन मंडल की बैठक आयोजित की गई।
रेवासा धाम के पीठाधीश्वर राघवाचार्य की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में मुख्य वक्ता श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी ने कहा वीरों और सन्तों की भूमि पर श्री राम का दूत बनकर, ये सन्देश देने आया हूं कि मंदिर सभी के सहयोग बनें। विश्व में गुरु गोरक्षनाथ की देशव्यापी ख्याति है, सभी संतजन अपने क्षेत्रों में समाज की सुरक्षा कर रहे हैं, समाज भी संतों से दिशा लेकर समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं। राम मंदिर बनने के साथ ही राष्ट्र का वैभव बढेगा समय का त्याग कर समाज को प्रेरित करना होगा। गांव-ढाणी के व्यक्ति को भी निधि समर्पण के माध्यम से मन्दिर निर्माण से जोड़ना है।
इस अवसर पर विहिप के अखिल भारतीय संत सेवा प्रमुख व प्रचारक अजेय कुमार, केंद्रीय सह मंत्री व प्रान्त के पालक अधिकारी बजरंग बगड़ा, केंद्रीय सह मंत्री नरपत सिंह शेखावत, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम, जयपुर प्रान्त प्रचारक डॉ. शैलेन्द्र, विहिप प्रांत अध्यक्ष प्यारेलाल मीणा, लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री प्रकाशचंद, विहिप के क्षेत्र मंत्री सुरेश उपाध्याय, संगठन मंत्री राजाराम, राजस्थान व गुजरात क्षेत्रीय संगठन मंत्री गोपाल सहित प्रांतीय कार्यकारिणी के प्रमुख कार्यकर्ता उपस्थित थे।
गोविंद देव गिरी ने बताया कि राज्य में निधि समर्पण अभियान की निगरानी के लिए श्री राम मंदिर निधि समर्पण अभियान समिति का गठन किया है। समिति का मार्गदर्शन करने के लिए संतों की एक समिति होगी। उन्होंने कहा कि 10 रुपये, 100 रुपये, 1,000 रुपये के टोकन के जरिए राशि एकत्र की जाएगी। दो हजार रुपये से अधिक का दान देने वालों को रसीद दी जाएगी। दान दी गई राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के तहत छूट मिलेगी।
विहिप इसे एक और मंदिर नहीं बल्कि सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक पुनर्जीवन का माध्यम मानती है। “हम एक सौहार्दपूर्ण समाज बनाने के लिए इस मंदिर के साथ जाति, क्षेत्र और भाषा से जुड़े सभी मतभेदों को दूर करना चाहते हैं।’ विहिप किसी भी सरकार, नगर निगम या किसी भी सरकारी निकाय से चंदा नहीं लेगी। उन्होंने लोगों से मंदिर निर्माण के लिए उदारता से दान देने का आग्रह किया।
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महंत भावनाथ श्री रविनाथ कुंज आश्रम हरमाड़ा, महंत केशवदास सीता कुंड खाटूश्याम जी, महंत हनुमानदास महाराज गंगाबाई की बगीची धौलपुर, महंत योगश्री जी कांट बांध शाकम्भरी उदयपुरवाटी, सीताराम महाराज शिव मंदिर मठ तिजारा, भिवाड़ी अलवर, महंत चेतननाथ महाराज, मुकुंदगढ़ मंडी, शीतल दास महाराज मंडावा, महामन्डेलेश्वर ओंकार दस श्रीमाधोपुर, शशि शंकरदास ढेहर के बालाजी, महंत राजेश्वरानंद मानसरोवर,देशनन्द गिरि महाराज सवाईमाधोपुर, ज्ञानंद महाराज पीपलू टोंक, बालव्यास महाराज बोराज, अवधेश आचार्य महाराज लोहार्गल, उदयपुरवाटी, महामंडलेश्वर प्रेमदास महाराज सामोद, श्यामदास महाराज खाटूश्याम जी भी मौजूद थे।
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