
परिचय
Baba Ramdev: राजस्थान की धरती पर जन्मे बाबा रामदेव जी को लोकदेवता और करुणा के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। हर वर्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को उनकी जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष 2 सितंबर 2025 (मंगलवार) को बाबा रामदेव जी की जयंती धूमधाम से मनाई जाएगी।
बाबा रामदेव जी कौन थे?
- बाबा रामदेव जी का जन्म 15वीं सदी में रणछोड़दास नगरी (रामदेवरा, जिला जैसलमेर, राजस्थान) में हुआ था।
- वे रामसपरीया के नाम से भी प्रसिद्ध हैं क्योंकि जनमानस मानता है कि उन्होंने सबको समान रूप से अपनाया, चाहे कोई भी जाति-धर्म का हो।
- उन्होंने सामाजिक भेदभाव, छुआछूत और ऊंच-नीच के खिलाफ आवाज उठाई।
- चमत्कारिक शक्ति और परोपकार के कारण उन्हें “करुणा के अवतार” और “लोक देवता” की उपाधि मिली।
जयंती का धार्मिक महत्व
- माना जाता है कि बाबा रामदेव जी ने भक्ति, समानता और सेवा का संदेश दिया।
- उनकी जयंती पर दूर-दूर से श्रद्धालु राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और देशभर से रामदेवरा (जैसलमेर) पहुंचते हैं।
- यह दिन आस्था, भक्ति और सामाजिक समरसता का प्रतीक माना जाता है।
रामदेवरा मेला
- बाबा रामदेव जी की समाधि रामदेवरा (जैसलमेर) में स्थित है।
- जयंती के अवसर पर यहां भव्य मेला लगता है जिसे रामदेवरा मेला कहा जाता है।
- लाखों श्रद्धालु पैदल यात्राएं निकालकर बाबा के दरबार में पहुंचते हैं।
- मेले में भजन-कीर्तन, अखंड रामदेव गान और झांकियां विशेष आकर्षण रहती हैं।
- यह मेला धार्मिक आस्था के साथ-साथ राजस्थान की लोक संस्कृति, कला और परंपराओं की झलक भी प्रस्तुत करता है।
पूजा-विधि और आस्था
- श्रद्धालु बाबा रामदेव जी की समाधि पर धूप, दीप और पुष्प अर्पित करते हैं।
- चढ़ावा के रूप में नारियल, चूरमा, मिठाई और ध्वज (झंडा) चढ़ाना शुभ माना जाता है।
- भक्तजन “जय बाबा री” और “रामदेव पीर की जय” के नारे लगाते हैं।
- कई लोग इस अवसर पर व्रत रखते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।
बाबा रामदेव जी की शिक्षाएं
- समानता: सभी मनुष्य एक हैं, किसी भी धर्म या जाति का भेदभाव नहीं।
- सेवा भाव: भूखे को अन्न, प्यासे को जल और दुखी को सांत्वना देना।
- भक्ति मार्ग: भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा और लोककल्याण के लिए कार्य।
- अहिंसा और प्रेम: सभी जीवों के प्रति दया और प्रेम भाव रखना।
निष्कर्ष
बाबा रामदेव जी की जयंती सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह सामाजिक एकता और समानता का प्रतीक है। इस दिन लाखों श्रद्धालु बाबा की समाधि स्थल रामदेवरा पहुंचकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। 2 सितंबर 2025 को मनाई जाने वाली यह जयंती राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में लोक आस्था का बड़ा पर्व है।
READ MORE: पुरी रथ यात्रा के तीन रथों के पहिए होंगे संसद परिसर में स्थापित
READ MORE:भक्ति, नृत्य और जयकारों से गूंजा करौली