बद्रीनाथ मंदिर: भगवान विष्णु का हिमालयी धाम और चारधाम यात्रा का उत्तरी द्वार

गर्भगृह में विराजमान भगवान बद्रीनारायण की मूर्ति
उत्तराखंड के चमोली ज़िले में स्थित बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु के बद्रीनारायण रूप को समर्पित है। यह मंदिर चारधाम तीर्थ, स्वयंभू मूर्ति और हिमालयी तपस्थली के रूप में प्रसिद्ध है।

Badrinath Temple Uttarakhand उत्तराखंड के चमोली ज़िले में स्थित बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु के बद्रीनारायण रूप को समर्पित है। यह मंदिर भारत के चारधाम तीर्थों में उत्तरी दिशा का प्रतिनिधित्व करता है और वैष्णव परंपरा का एक प्रमुख केंद्र है। उत्तराखंड के चमोली ज़िले में स्थित बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु के बद्रीनारायण रूप को समर्पित है। यह मंदिर चारधाम तीर्थ, स्वयंभू मूर्ति और हिमालयी तपस्थली के रूप में प्रसिद्ध है।

🌄 पौराणिक कथा और धार्मिक महत्ता

Badrinath Temple Uttarakhand

  • मान्यता है कि भगवान विष्णु ने यहाँ तपस्या की थी, और उनकी सेवा में माँ लक्ष्मी ने बदरी वृक्ष का रूप धारण किया
  • यह स्थल अष्ट स्वयंवक्त क्षेत्र में शामिल है — जहाँ भगवान स्वयं प्रकट हुए
  • मंदिर का उल्लेख विष्णु पुराण, स्कंद पुराण, और नालायिर दिव्य प्रबंधम् जैसे ग्रंथों में मिलता है
  • यहाँ की मूर्ति काले ग्रेनाइट से बनी है और लगभग 1 फुट ऊँची है

🛕 मंदिर का इतिहास और स्थापत्य

  • मंदिर का पुनर्निर्माण 9वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था
  • वर्तमान संरचना में तीन भाग हैं:
    • गर्भगृह (संस्थान मंडप)
    • दर्शन मंडप
    • सभा मंडप
  • मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है और इसके पीछे नीलकंठ पर्वत की भव्य छाया दिखाई देती है
  • पास में स्थित तप्त कुंड में श्रद्धालु स्नान कर मंदिर में प्रवेश करते हैं

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🧭 तीर्थ यात्रा और मौसम

Badrinath Temple Uttarakhand

  • मंदिर वर्ष में केवल 6 महीने (अप्रैल से नवंबर) तक खुला रहता है — शीतकाल में बर्फबंदी के कारण बंद रहता है
  • शीतकाल में भगवान बद्रीनारायण की पूजा जोशीमठ में की जाती है
  • यहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु चारधाम यात्रा, कुंभ मेला, और एकादशी पर्व पर दर्शन के लिए आते हैं