श्री बंधासर जैन मंदिर: बीकानेर की जैन कला, श्रद्धा और स्थापत्य का अनमोल रत्न

“मंदिर की दीवारों पर उकेरी गई 24 तीर्थंकरों की चित्रकारी”
बीकानेर में स्थित श्री बंधासर जैन मंदिर भगवान सुमतिनाथ को समर्पित है। यह मंदिर अपनी तीन मंज़िला संरचना, भित्ति चित्रों और 40,000 किलो घी से बनी नींव के लिए प्रसिद्ध है।

Bandhasar Jain Temple राजस्थान के बीकानेर शहर के बड़ा बाजार क्षेत्र में स्थित श्री बंधासर जैन मंदिर जैन धर्म के श्वेतांबर संप्रदाय का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह मंदिर भगवान सुमतिनाथ, पाँचवें तीर्थंकर को समर्पित है और अपनी अद्वितीय चित्रकारी, वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है।

बंधासर जैन मंदिर की पूजा का मुख्य कारण भगवान सुमतिनाथ की शांति, संयम और मोक्ष मार्ग की प्रेरणा है। श्रद्धालु यहाँ आत्मशुद्धि, तप और अहिंसा की भावना से पूजा करते हैं। यह मंदिर जैन धर्म के तीर्थंकरों के जीवन दर्शन को चित्रों और मूर्तियों के माध्यम से प्रस्तुत करता है।

Bandhasar Jain Temple

मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में बीकानेर के प्रसिद्ध व्यापारी बंधासा ओसवाल द्वारा कराया गया था। लोक मान्यता है कि मंदिर की नींव में 40,000 किलो घी का उपयोग पानी की जगह किया गया था — जिससे आज भी गर्मियों में दीवारों से घी के रिसने की कथाएँ सुनाई देती हैं।

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मंदिर की वास्तुकला अत्यंत भव्य है — यह तीन मंज़िला संरचना है, जिसमें लाल बलुआ पत्थर का उपयोग हुआ है। दीवारों, स्तंभों और छतों पर पत्तियों की चित्रकारी, फ्रेस्को शैली के भित्ति चित्र, और दर्पण कला का अद्भुत समावेश है। गर्भगृह, रंग मंडप, अर्ध मंडप और अंतराल सभी भागों में 24 तीर्थंकरों की जीवन घटनाएँ चित्रित की गई हैं।

Bandhasar Jain Temple

यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह बीकानेर की सांस्कृतिक विरासत, जैन स्थापत्य कला, और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक भी है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित यह स्थल आज भी जैन समुदाय के लिए एक जीवंत तीर्थ बना हुआ है।