भीमाशंकर मंदिर: सह्याद्रि की गोद में स्थित शिव का ज्योतिर्लिंग और प्रकृति का दिव्य संगम

गर्भगृह में भूमि स्तर से नीचे स्थित शिवलिंग
पुणे के सह्याद्रि पर्वत में स्थित भीमाशंकर मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर त्रिपुरासुर वध, भीमा नदी की उत्पत्ति और नागर शैली की वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।

Bhimashankar Temple Pune महाराष्ट्र के पुणे ज़िले के सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला में स्थित भीमाशंकर मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य और पौराणिक कथा की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भीमाशंकर की पूजा का मुख्य कारण भगवान शिव की विघ्नहर्ता शक्ति, त्रिपुरासुर वध की कथा, और भीमा नदी की उत्पत्ति है। मान्यता है कि त्रेतायुग में राक्षस त्रिपुरासुर ने कठोर तप कर अमरता प्राप्त की और फिर देवताओं को पीड़ित करने लगा। भगवान शिव ने देवी पार्वती के साथ मिलकर अर्धनारीश्वर रूप में उसका वध किया। इसी युद्ध के दौरान शिव के पसीने से भीमा नदी का जन्म हुआ।

Bhimashankar Temple Pune

मंदिर का इतिहास 13वीं शताब्दी से जुड़ा है, और इसे पेशवा नाना फड़नवीस द्वारा पुनर्निर्मित कराया गया था। मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में है — जिसमें नक्काशीदार स्तंभ, बुद्ध शैली की अंबिका प्रतिमाएँ, और गर्भगृह में भूमि स्तर से नीचे स्थित शिवलिंग शामिल हैं।

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भीमाशंकर मंदिर भीमाशंकर वन्यजीव अभयारण्य के मध्य स्थित है, जो इसे एक प्राकृतिक तीर्थ भी बनाता है। यहाँ भक्तों को आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ वन्य जीवन और हरियाली का अनुभव भी मिलता है। मंदिर परिसर में कई छोटे-छोटे मंदिर और पवित्र स्थल हैं, जो इसकी पवित्रता को और बढ़ाते हैं।

Bhimashankar Temple Pune

यह मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारत की आस्था, पर्यावरण चेतना, और शिव भक्ति परंपरा का प्रतीक भी है। हर वर्ष महाशिवरात्रि, श्रावण मास, और कार्तिक पूर्णिमा पर यहाँ हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।