ब्रह्माणी माता मंदिर: सृष्टि की शक्ति और लोक आस्था का प्रतीक

हंस वाहन पर विराजमान ब्रह्माणी माता की प्रतिमा
राजस्थान के पल्लू गाँव में स्थित ब्रह्माणी माता मंदिर देवी ब्रह्मा की शक्ति का प्रतीक है। यह मंदिर सृजन, ज्ञान और लोक आस्था का केंद्र है, जहाँ देवी की पीठ की पूजा की परंपरा भी अद्वितीय है।

Brahmani Mata Temple राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले के पल्लू गाँव में स्थित ब्रह्माणी माता मंदिर एक प्राचीन और अत्यंत पूजनीय धार्मिक स्थल है। यह मंदिर देवी ब्रह्माणी को समर्पित है, जो सृष्टिकर्ता ब्रह्मा की शक्ति मानी जाती हैं। देवी ब्रह्माणी को राजसी गुणों की अधिष्ठात्री और महा सरस्वती का रूप माना जाता है।

ब्रह्माणी माता की पूजा का मुख्य कारण उनकी सृजनात्मक शक्ति और रक्षक स्वरूप है। लोक मान्यता है कि वे जीवन की उत्पत्ति, ज्ञान और संतुलन की देवी हैं। उनकी चार भुजाओं वाली प्रतिमा में वे हंस वाहन पर विराजमान हैं, जो ज्ञान और विवेक का प्रतीक है। श्रद्धालु यहाँ देवी को चुनरी, नारियल, सिंदूर और कनेर के पत्ते अर्पित करते हैं।

मंदिर का इतिहास लगभग 700 वर्षों से भी अधिक पुराना है। विशेष बात यह है कि बारां ज़िले के सोरसन में स्थित एक ब्रह्माणी माता मंदिर में देवी की पीठ की पूजा की जाती है — यह विश्व का इकलौता ऐसा मंदिर है जहाँ प्रतिमा के पिछले भाग को पूजनीय माना गया है। यह परंपरा देवी के एक पौराणिक वचन से जुड़ी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब तक वे तीर्थ यात्रा से लौटेंगी नहीं, तब तक उनकी पीठ की पूजा होती रहे।

Brahmani Mata Temple

ब्रह्माणी माता को कई जातियों और समुदायों की कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है — जिनमें तारड़ जाट, पुजारी ब्राह्मण, राजपूत वंश, और गुजरात के प्रजापति समुदाय प्रमुख हैं। भारत के विभिन्न राज्यों में देवी ब्रह्माणी के मंदिर स्थापित हैं, जिनमें पाली, नागौर, चुरू, जयपुर और जोधपुर के मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।

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ब्रह्माणी माता की पूजा में कोई जटिल विधि नहीं होती — श्रद्धा ही सबसे बड़ा माध्यम है। लोग देवी से संतान सुख, रोग मुक्ति, और परिवार की रक्षा की कामना करते हैं। देवी की पूजा में सिंदूर, दाल बाटी, और ध्वजा अर्पण की परंपरा है, जो लोक संस्कृति से गहराई से जुड़ी हुई है।

Brahmani Mata Temple

यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की लोक परंपरा, सांस्कृतिक विविधता, और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक भी है। ब्रह्माणी माता मंदिर एक ऐसा स्थल है जहाँ सृजन, शक्ति और श्रद्धा एक साथ पूजी जाती हैं।