
जयपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत दिनों देशवासियों से स्वदेशी अपनाने और इसे जीवन शैली का हिस्सा बनाने का आह्वान किया। इससे पहले भी उन्होंने ‘लोकल फॉर वोकल’ अभियान से देश के दूरदराज क्षेत्रों में कार्यरत और अब तक उपेक्षित रहे हस्तशिल्पियों और हथकरघा बुनकरों को व्यापक मंच उपलब्ध करवाया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नागरिकों को हथकरघा उत्पाद खरीदने तथा हैशटैग #MyHandloom MyPride और #MyProduct MyPride का उपयोग कर सोशल मीडिया पर अपनी स्टोरी साझा कर इसके प्रति अपना समर्थन दर्शाने हेतु प्रोत्साहित किया है। इस अभियान का उद्देश्य भारत की हथकरघा विरासत के प्रति संम्मान बढ़ाना , साथ ही कारीगरों के लिए बाजार पहुंच और आय के अवसरों में सुधार करना है।
केन्द्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया कि हथकरघा हमारे देश की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह क्षेत्र ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण आजीविका का एक अभिन्न अंग है, जिससे 35 लाख से ज्यादा लोग सीधे जुड़े हुए हैं और इन हथकरघा बुनकरों और संबद्ध कामगारों में 70 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएँ होने के कारण यह महिला सशक्तीकरण का महत्वपूर्ण आधार है। भारत की हथकरघा परम्परा न केवल हमारी कारीगरी की उत्कृष्टता का प्रमाण है बल्कि सांस्कृतिक गौरव और आर्थिक लचीलेपन का भी गहरा प्रतीक है।
स्वदेशी आंदोलन की स्मृति में 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में चुना गया था क्योंकि इसी दिन 1905 में स्वदेशी आंदोलन की शुरूआत हुई थी। इस दिवस का उद्देश्य बड़े स्तर पर आम जनता के बीच हथकरघा उद्योग के महत्व तथा देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना, हथकरघा को बढ़ावा देना, बुनकरों की आय में वृद्धि करना तथा विशेष रूप से उनके गौरव को बढ़ाना है।
गिरिराज सिंह ने बताया कि आमजन का छोटा सा प्रयास, समर्थन और प्रोत्साहन हमारे बुनकरों की आजीविका सुनिश्चित करने और उनमें गर्व की भावना विकसित करने में बड़ा कदम साबित होगा।