उत्तर प्रदेश में आगामी 2022 में विधानसभा और पंयायत के चुनाव होने हैं। ऐसे में राजनीतिक पार्टियां यूपी में सियासी जमीन तैयार करने में लगी है। लेकिन देश में चल रहे किसानों के आंदोंलन बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है। दरअसल, यूपी चुनावों से पहले बीजेपी के वोट बैंक का एक धड़ा खिसकता नजर आ रहा है। इससे बीजेपी नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई दे रही है। कुछ नेता कहने लगे हैं कि अब किसान आंदोलन को खत्म करना चाहिेए। इस आंदोलन का प्रभाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज्यादा है। इन दिनों हुई किसानों की महापंचायतों ने बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है। उसकी कमान खुद रालोद के जयंत चौधरी ने संभाली है।
बहरहाल अब किसान आंदोलन का कोई हल निकलता दिखाई नहीं दे रहा है। दोनों पक्ष किसान अपने-अपने कदम रोके हुए हैं। ऐसे में पंचायत चुनाव को लेकर बीजेपी नेताओं की चिंता बढ़ गई है। भाकियू के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने मुजफरपुर की पंचायत में कहा कि हमेशा किसानों के समर्थन में लड़ाई लड़ी है।
इस बयान के बाद बीजेपी को लगता है कि पश्चिम मं उनका जाट वोट खिसक सकता है। इसका सीधी असर पंचायत चुनाव के साथ होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी रह सकता है। गौरतलब है कि दिल्ली में किसान ट्रैक्टर रैली हिंसा के बाद राकेश टिकैत के आंसुओं ने किसान आंदोलन में जान फूंकी। इसके बाद से जाट समुदाय भी किसानों के समर्थन में उतर आए हैं। यूपी में 120 सीटों पर जाट और किसान हार जीत का अंतर तय करते हैं।