आर्य वरिष्ठ जन सम्मान व आर्य सहयोगी सम्मान से किया सम्मानित
गंगापुर सिटी. आर्य समाज गंगापुर सिटी के तत्वावधान में पिछले छह दिनों से चल रहे यजुर्वेद पारायण महायज्ञ का समापन रविवार को आचार्य योगेंद्र याज्ञिक, प्रसिद्ध भजनोपदेशक कुलदीप शास्त्री और उपस्थित सभी सन्यासियों का आर्य समाज के प्रधान कछिया लाल बजाज, मंत्री सी. ए. अभिषेक बंसल, कार्यक्रम संयोजक मदन मोहन बजाज, उपप्रधान रविन्द्र खण्डेलवाल, कोषाध्यक्ष विश्वबंधु आर्य, कैलाश मित्तल, सत्यप्रकाश सोनी, शुभम आर्य, गिरीश आर्य, मनोज आर्य आदि कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा माला, दुपट्टा और दक्षिणा भेंट करके व भंडार प्रसादी के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।
प्रवक्ता आशुतोष आर्य ने बताया कि समापन से पूर्व यज्ञ के बह्मा योगेश याज्ञिक के द्वारा अंतिम दिन के यजमान ओमप्रकाश अग्रवाल, अरविंद, मुकेश, कैलाश मित्तल, सी.ए. रामावतार बंसल, अरुण खण्डेलवाल, बदन सिंह गुर्जर आदि से यजुर्वेद के मंत्रो की यज्ञ में आहुति दिलवाई। पिछले छह दिनों के मुख्य यजमानों के द्वारा यज्ञ में पूर्ण आहुति दिलवाई और कार्यक्रम के अंतिम उद्बोधन में बताया कि आर्य समाज के तीसरे नियम में महर्षि दयानंद सरस्वती ने निर्देश दिया है कि वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढऩा- पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है। परम शब्द धर्म से पहले लगाकर महर्षि ने मनुष्य को धर्म की पराकाष्ठा का ज्ञान कराया और बता दिया कि सब सत्य विद्याओं का ज्ञान अर्जित करने के लिए हमें वेद पढऩा और पढ़ाना चाहिए। यदि हम पढऩे-पढ़ाने में असमर्थ है तो हमें विद्वानों से सुनना और सुनाना चाहिए। जो मनुष्य स्वयं वेद पढक़र या वेद का ज्ञान विद्वानों से सुनकर दूसरे मनुष्य को वेद का ज्ञान विज्ञान कराता है एवं सुनाता है तो यह वेद प्रचार का सबसे बड़ा परोपकार है। वेद सब सत्य विद्याओं का ज्ञान प्रभावित करने से सब मनुष्य वेद ज्ञान के ज्ञानी विज्ञानी बन जाते हैं। उनकी विचारधारा सात्विक व धर्म परायण विचारों से मनसा, वाचा, कर्मणा, पूर्ण मनुष्य सात्विक, अहिंसक, परोपकार और यज्ञमय जीवन व्यतीत करने वाला बन जाता है।
बिजनौर से पधारे भजनोपदेशक कुलदीप शास्त्री ने हम सब मिलकर आए दाता तेरे दरबार भर दो झोली तेरे पुरण भंडार…, सो बार जन्म लेंगे सौ बार फना होंगे अहसान दयानंद के फिर भी ना जुदा होंगे…, भगवान आर्यों को ऐसी लगन लगा दे देश और धर्म के खातिर मिटना इन्हें सीखा दे…, ओम है जीवन हमारा ओम प्राणॉधार है ओम है कर्ता विधाता ओम पालन हार है…आदि मधुर भजनों की प्रस्तुति दी, जिनको सुनकर श्रोताओं में उत्साह का संचार हो गया।
कार्यक्रम के बीच में आर्य समाज की ओर से गोविन्द प्रसाद आर्य, श्रीमती सावित्री देवी, रामजीलाल ठाकुरिया, जानकी देवी रावत को आर्य वरिष्ठ जन सम्मान दिया गया। वहीं श्रीमती संतोष शर्मा को आर्य सहयोगी सम्मान से सम्मानित किया।
कार्यक्रम के अंत में आर्य समाज के प्रधान और कार्यक्रम सयोजक मदन मोहन बजाज ने सफल आयोजन के लिए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया और सभी उपस्थित जनों ने भंडारा प्रसादी ग्रहण की। इस मौके पर पंडित मदन मोहन आर्य सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित थे।