‘कोरोना’

समझो कुछ यूं
कोरोना है बीमारी
बैठा इंसा घर मैं
और निभा रहा है जिम्मेदारी

बात कर रहा है बच्चों से
खेल रहा है खेल
देखो हंसी है चेहरों पर
अच्छा हुआ है मेल

भागदौड़ बंद, पागलपन बंद
है सुकून की जिंदगी
जी रहे हैं संयमित जीवन
कर रहे हैं रब की बंदगी

है कुछ सहमा-सहमा सा
फिर भी धैर्य है मन में
कुदरत भी समझ आ रही
नए पाठ सीखे हैं जीवन में

आओ सीखें हम इन लम्हों से
बातें जो हुई अब अपनों से
जिंदगी का अर्थ अब मालूम हुआ
गगन में चहचहाते परिदों से

वतन पर मर मिटने वाले कर्मवीरों को
देश की जनता के प्राणों के रखवालों को
नमन करते हैं आज हम
चिकित्साकर्मी, मीडिय़ा, सफाईकर्ता, पुलिसवालों को

मनीष कुमार अग्रवाल एडवोकेट
गंगापुर सिटी