
Dilwara Jain Temple Mount Abu राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू से लगभग 2.5 किलोमीटर दूर स्थित दिलवाड़ा जैन मंदिर भारत के सबसे सुंदर और प्रतिष्ठित जैन तीर्थस्थलों में से एक हैं। इन मंदिरों का निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच चालुक्य वंश के शासनकाल में हुआ था। यह पाँच मंदिरों का समूह है — विमल वसाही, लूणा वसाही, पिथलहर, पार्श्वनाथ और महावीर स्वामी मंदिर।
मंदिरों की सबसे बड़ी विशेषता है इनकी अद्भुत संगमरमर की नक्काशी। स्तंभों, छतों और द्वारों पर की गई बारीक कलाकारी को देखकर लोग अक्सर इसे ताजमहल से भी श्रेष्ठ मानते हैं। विमल वसाही मंदिर भगवान आदिनाथ को समर्पित है, जबकि लूणा वसाही मंदिर भगवान नेमिनाथ को। इन मंदिरों की छतों पर सोने की पत्तियों से बनी चित्रकला और फूलों की आकृतियाँ देखना एक अलौकिक अनुभव है।
Dilwara Jain Temple Mount Abu
मंदिर परिसर में मौन और संयम का वातावरण होता है। यहाँ फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है, जिससे इसकी पवित्रता बनी रहती है। श्रद्धालु यहाँ स्नान कर पूजा करते हैं, और सर्दियों में स्नान के लिए सौर ऊर्जा से गर्म पानी की व्यवस्था भी की जाती है।
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मंदिर प्रतिदिन दोपहर 12:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है। प्रवेश निःशुल्क है, लेकिन श्रद्धालुओं से संयमित व्यवहार और पारंपरिक पोशाक की अपेक्षा की जाती है।
Dilwara Jain Temple Mount Abu
दिलवाड़ा जैन मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय स्थापत्य कला की उत्कृष्टता और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी है। यहाँ की शांति, शिल्प और श्रद्धा हर आगंतुक को भीतर तक छू जाती