केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को लेकर पिछले दो महीने से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन चल रहा है। किसान के इस प्रदर्शन को हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश की खाप पंचायतों समर्थन मिल गया है। इससे किसान आंदोलन ने बीजेपी के लिए चिंता बढ़ा दी है। पार्टी ने बढ़ते असंतोष को रोकने के लिए मंडल समितियों का गठन किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खाप पंचायतों के किसानों को समर्थन देने के बाद से बीजेपी एक्टिव मोड में दिखाई दे रही है। सोनीपत, पानीपत, रोहतक और पश्चिम यूपी में खाप पंचायतें बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है। इसलिए जाट नेताओं और खाप सदस्यों से संपर्क कर उन्हें मनाने की तैयारी की जा रही है। कई जगहों पर खाप ने बीजेपी नेताओं के बहिष्कार का संपल्प लिया है। इसे देखते हुए पार्टी ने जाट और खापों के प्रभावशाली नेताओं से मिलकर उन्हें मनाने का फैसला लिया है।
किसान आंदोलन का असर हरियाणा में ज्यादा देखने को मिला। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तक किसानों के प्रदर्शन का सामना कर चुके हैं। आंदोलन का सीधा असर हाल में निकाय चुनाव पर भी देखिने को मिला है। हरियाणा में बीजेपी और जजपा किसान आंदोलन को लेकर बैकफुट पर नजर आ रही है। बता दें कि उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। यूपी में 120 सीटों पर जाटों और किसानों का दबदबा है। ऐसे में जाट और किसान आगामी चुनाव पर असर डाल सकते हैं।