
Galta Ji Temple Jaipur जयपुर से लगभग 10 किलोमीटर पूर्व में अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित गालटा जी मंदिर राजस्थान का एक अत्यंत पवित्र और अनोखा तीर्थस्थल है। यह मंदिर “मंकी टेम्पल” के नाम से भी प्रसिद्ध है, क्योंकि यहाँ बड़ी संख्या में बंदर निवास करते हैं। मंदिर परिसर में रीसस मकाक और लंगूर प्रजाति के बंदर श्रद्धालुओं के बीच घूमते हैं, और कई बार प्रसाद भी छीन लेते हैं।
गालटा जी मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में दीवान राव कृपाराम द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर ऋषि गलव को समर्पित है, जिन्होंने यहाँ तपस्या की थी। मान्यता है कि उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवताओं ने यहाँ एक पवित्र जल स्रोत उत्पन्न किया, जो आज भी मंदिर के सात पवित्र कुंडों को भरता है। इनमें से गालटा कुंड को सबसे पवित्र माना जाता है, और कहा जाता है कि यह कभी सूखा नहीं।
Galta Ji Temple Jaipur
मंदिर की वास्तुकला राजपूत और मुगल शैली का मिश्रण है, जिसमें गुलाबी पत्थर की नक्काशी, भव्य गुंबद और चित्रित दीवारें शामिल हैं। मंदिर परिसर में हनुमानजी, रामजी, कृष्णजी और सूर्य देव के मंदिर भी हैं। यहाँ की दीवारों पर हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्य चित्रित हैं।
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मकर संक्रांति और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहाँ हजारों श्रद्धालु पवित्र कुंडों में स्नान करते हैं। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों और सांस्कृतिक यात्रियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।
Galta Ji Temple Jaipur
गालटा जी मंदिर तक पहुँचने के लिए सूरजपोल बाजार से एक ट्रेकिंग मार्ग भी है, जो लगभग 30–45 मिनट में पूरा किया जा सकता है।