
अजमेर। राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में गुरुवार को महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जयंती के उपलक्ष्य में एक भव्य एवं प्रेरणादायी समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो. आनंद भालेराव द्वारा महापुरुषों के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ।
कुलपति प्रो. भालेराव ने अपने उद्बोधन में कहा कि “महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी का सम्पूर्ण जीवन स्वयं में राष्ट्रभक्ति का प्रतीक रहा। उनका हर क्षण, हर कार्य और हर संकल्प केवल भारत की प्रगति और उत्थान के लिए ही था।” उन्होंने महात्मा गांधी जी के जीवन, विचारों और आंदोलनों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे केवल वकील या राजनेता नहीं, बल्कि सच्चे अर्थों में समाजसेवी और मानवता के पुजारी थे। गांधी जी ने चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे ऐतिहासिक आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिसने स्वतंत्रता संग्राम की दिशा बदल दी।

प्रो. भालेराव ने गांधी जी से जुड़े कई प्रेरणादायी प्रसंग साझा किए और समझाया कि जीवन केवल जीने के लिए नहीं, बल्कि आत्मविकास और विविध कलाओं के लिए भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विचारों की स्पष्टता और जीवन की सादगी को समझने के लिए हमें गांधी जी को पढ़ना और उनके विचारों से जुड़ना आवश्यक है।
लाल बहादुर शास्त्री जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए प्रो. भालेराव ने कहा कि उनका जीवन तीन प्रमुख गुणों – सादगी, ईमानदारी और अनुशासन – का प्रतीक था। उन्हें श्वेत क्रांति का जनक कहा जाता है और उनका सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र की सेवा एवं प्रगति के लिए समर्पित रहा। शास्त्री जी हर पल जनता के कल्याण और राष्ट्र की उन्नति के लिए चिंतन करते थे।
उन्होंने आह्वान किया कि जब हम महापुरुषों के विचारों से जुड़ेंगे तभी हमारे भीतर नई सोच का जन्म होगा और यही सोच समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाएगी।

कार्यक्रम के अंत में डीन अकादमिक प्रो. डी.सी. शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में महापुरुषों की जयंती मनाना गौरव की बात है और यह परंपरा छात्रों व समाज के लिए प्रेरणादायी है। कार्यक्रम का संचालन जनसंपर्क अधिकारी अनुराधा मित्तल ने किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिकारीगण, शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक कर्मचारी तथा विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। अंत में सभी ने महापुरुषों के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।