गिरिजा देवी मंदिर (विंध्याचल): माँ विंध्यवासिनी का जागृत शक्तिपीठ और मोक्ष का द्वार

गर्भगृह में विराजमान माँ विंध्यवासिनी की मूर्ति
उत्तर प्रदेश के विंध्याचल में स्थित गिरिजा देवी मंदिर माँ विंध्यवासिनी के जागृत शक्तिपीठ के रूप में पूजित है। यह मंदिर महिषासुर वध, गंगा तट और विंध्य पर्वत की दिव्यता से जुड़ा हुआ है।

Girija Devi Temple Vindhyachal उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर ज़िले में स्थित गिरिजा देवी मंदिर, जिसे आमतौर पर माँ विंध्यवासिनी शक्तिपीठ कहा जाता है, भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर देवी विंध्यवासिनी को समर्पित है, जो आदि शक्ति के पूर्ण रूप में यहाँ विराजमान हैं।

गिरिजा देवी की पूजा का मुख्य कारण उनकी जागृत शक्ति, सर्वसिद्धि प्रदान करने की क्षमता, और महिषासुर वध की कथा है। मान्यता है कि देवी ने यहीं पर महिषासुर का वध किया और इस स्थान को अपनी स्थायी निवासभूमि बनाया। यह मंदिर वेदों, पुराणों और दुर्गा सप्तशती में वर्णित है।

Girija Devi Temple Vindhyachal

मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है — यह स्थल सती के अंगों के गिरने से बने शक्तिपीठों में शामिल है। यहाँ देवी का दक्षिण चरण गिरा था। विंध्याचल शब्द “विंध्य” (पर्वत) और “आचल” (स्थिरता) से मिलकर बना है, जो इस क्षेत्र की दिव्यता को दर्शाता है।

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मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक नागर शैली में है, जिसमें गर्भगृह, परिक्रमा पथ, और गंगा तट से जुड़ा प्रवेश द्वार शामिल है। वर्तमान में यहाँ विंध्य कॉरिडोर का निर्माण हो रहा है, जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर तैयार किया जा रहा है — इसमें 50 फीट चौड़ा परिक्रमा मार्ग, गुलाबी पत्थरों की दीवारें, और आधुनिक सुविधाएँ शामिल होंगी।

Girija Devi Temple Vindhyachal

यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उत्तर भारत की शाक्त परंपरा, नारी शक्ति, और लोक श्रद्धा का प्रतीक भी है। यहाँ हर वर्ष नवरात्रि, चैत्र नवरात्र, और शारदीय नवरात्र पर लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।