
Importance of Extracurricular Activities: आज की शिक्षा प्रणाली केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रह गई है। अब छात्रों के समग्र विकास के लिए खेल और एक्स्ट्रा करिकुलर गतिविधियाँ अनिवार्य मानी जा रही हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने भी इस दिशा में स्पष्ट संकेत दिए हैं कि शिक्षा का उद्देश्य केवल परीक्षा पास करना नहीं, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण और जीवन कौशल विकसित करना है।
Importance of Extracurricular Activities
खेलों से बच्चों में टीमवर्क, अनुशासन, सहनशीलता और नेतृत्व जैसे गुण विकसित होते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी, योग और एथलेटिक्स जैसे खेल न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं, बल्कि मानसिक संतुलन भी प्रदान करते हैं। वहीं, नृत्य, संगीत, नाटक, चित्रकला और वाद-विवाद जैसी गतिविधियाँ रचनात्मकता, आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति की क्षमता को बढ़ावा देती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि जो छात्र नियमित रूप से एक्स्ट्रा करिकुलर गतिविधियों में भाग लेते हैं, वे तनाव से बेहतर तरीके से निपटते हैं और अकादमिक प्रदर्शन में भी आगे रहते हैं। UNESCO की रिपोर्ट के अनुसार, समग्र शिक्षा मॉडल अपनाने वाले स्कूलों में छात्रों की भागीदारी और उपस्थिति दर अधिक होती है। भारत में अब कई स्कूलों ने “हाउस सिस्टम”, “स्पोर्ट्स डे” और “क्लब एक्टिविटीज़” को नियमित पाठ्यक्रम का हिस्सा बना लिया है।
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इन गतिविधियों से बच्चों को समाज के साथ जुड़ने, नेतृत्व कौशल विकसित करने, और नैतिक मूल्यों को समझने का अवसर मिलता है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब पंचायत स्तर पर खेल प्रतियोगिताएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे प्रतिभा को मंच मिल रहा है। साथ ही, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर भी अब बच्चों के लिए वर्चुअल प्रतियोगिताएँ और क्रिएटिव चैलेंजेस उपलब्ध हैं।
Importance of Extracurricular Activities
निष्कर्षतः, शिक्षा में खेल और एक्स्ट्रा करिकुलर गतिविधियाँ केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि जीवन निर्माण का आधार हैं। यह बच्चों को संतुलित, आत्मविश्वासी और सामाजिक रूप से सक्रिय बनाती हैं। जब शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं रहती, तब छात्र जीवन को समझते हैं — और यही है सच्ची शिक्षा की पहचान।