भारत की इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताओं में तेजी, आधुनिक खतरे से निपटने की तैयारी

नई दिल्ली: डिजिटल युग में युद्ध का तरीका बदल रहा है। इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (EW) और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम (EMS) नियंत्रण अब टैंक, मिसाइल और फाइटर जेट जितना ही महत्वपूर्ण हो गया है। सीमा पर बढ़ते तनाव, पड़ोसी देशों की मिलिटराइजेशन और ड्रोन, हाइपरसोनिक मिसाइल व साइबर-EMS हमलों के खतरे के बीच भारत ने EW को रणनीतिक प्राथमिकता दी है।

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भारत में EW की मुख्य तैयारियाँ

  • DRDO और BEL: दुश्मन के संचार नेटवर्क को ट्रैक और ब्लॉक करने में सक्षम तकनीक विकसित। ‘शक्ति’ EW सूट नौसेना को काउंटरमेज़र्स प्रदान करता है। ‘दिव्य दृष्टि’ लंबी दूरी से सिग्नल मॉनिटर करती है।
  • प्राइवेट सेक्टर: टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, एलएंडटी डिफेंस, डेटा पैटर्न्स और सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स सक्रिय।
  • भविष्य: 6th जेनरेशन फाइटर जेट्स के साथ EW युद्ध में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

रणनीतिक प्रभाव

ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के रडार को इलेक्ट्रॉनिकली डिसेबल कर लक्ष्य नष्ट किए गए। विशेषज्ञों का मानना है कि EMS नियंत्रण से युद्ध में बढ़त मिलती है। भविष्य में EW साइबर ऑपरेशंस, डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स और मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस से जुड़ जाएगा।