
Kamakhya Temple Guwahati असम की राजधानी गुवाहाटी में स्थित कामाख्या मंदिर देवी कामाख्या को समर्पित है, जो आदि शक्ति का योनिरूप मानी जाती हैं। यह मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है और तांत्रिक साधना का सबसे प्रमुख स्थल माना जाता है।
गुवाहाटी के नीलाचल पर्वत पर स्थित कामाख्या मंदिर देवी के योनिरूप को समर्पित है। यह मंदिर शक्तिपीठ, तांत्रिक साधना और अम्बुबाची मेले के लिए प्रसिद्ध है।
🌺 पौराणिक महत्ता और देवी का स्वरूप
Kamakhya Temple Guwahati
- मान्यता है कि जब भगवान शिव ने सती के शरीर को उठाकर तांडव किया, तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंडित किया
- सती का योनि अंग इस स्थान पर गिरा — जिससे यह स्थल योनिपीठ कहलाया
- गर्भगृह में कोई मूर्ति नहीं है — वहाँ एक प्राकृतिक शिला और जलधारा है, जिसे देवी का प्रतीक माना जाता है
- यहाँ देवी को रक्तवर्ण, माँ काली, और महाविद्याओं के रूप में पूजा जाता है
🛕 मंदिर का इतिहास और स्थापत्य
- मूल मंदिर का निर्माण 8वीं–9वीं शताब्दी में म्लेच्छ वंश द्वारा किया गया था
- बाद में कोच राजा नर नारायण और आहोम राजाओं ने इसका पुनर्निर्माण कराया
- मंदिर की वास्तुकला नीलाचल शैली में है — जिसमें गुंबदाकार शिखर, लाल रंग की दीवारें, और तांत्रिक यंत्रों की सजावट शामिल है
- मंदिर परिसर में दस महाविद्याओं के अलग–अलग मंदिर भी स्थित हैं

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🔱 तांत्रिक साधना और उत्सव
Kamakhya Temple Guwahati
- यहाँ प्रतिवर्ष अम्बुबाची मेला आयोजित होता है — जिसमें देवी के मासिक धर्म को पूजा का रूप दिया जाता है
- इस दौरान मंदिर तीन दिन बंद रहता है और चौथे दिन पुनः खुलता है
- यह मेला स्त्री ऊर्जा, उर्वरता और प्रकृति की चक्रवातीय शक्ति का उत्सव है
- अन्य प्रमुख पर्व हैं नवरात्रि, दुर्गा पूजा, और दीपावली