श्री काशी अन्नपूर्णा मंदिर: वाराणसी की अन्नदाता देवी और शिव-पार्वती की करुणा का प्रतीक

गर्भगृह में विराजमान स्वर्ण अन्नपूर्णा प्रतिमा
वाराणसी में स्थित श्री काशी अन्नपूर्णा मंदिर देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है, जो भोजन और पोषण की देवी हैं। यह मंदिर शिव-पार्वती की कथा, अन्नकूट महोत्सव और करुणा की शक्ति का प्रतीक है।

Kashi Annapurna Temple काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित श्री काशी अन्नपूर्णा मंदिर देवी अन्नपूर्णा को समर्पित एक अत्यंत पूजनीय स्थल है। देवी अन्नपूर्णा को भोजन और पोषण की देवी माना जाता है, जो यह सुनिश्चित करती हैं कि काशी में कोई भी भूखा न रहे। उन्हें “काशी की रानी” भी कहा जाता है।

अन्नपूर्णा देवी की पूजा का मुख्य कारण उनकी करुणा, पोषण और शिव के साथ दिव्य संबंध है। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान शिव ने भोजन को “माया” कहकर अस्वीकार किया, जिससे देवी पार्वती क्रोधित होकर संसार से भोजन हटा लेती हैं। जब भूख से त्रस्त संसार शिव से प्रार्थना करता है, तब वे पार्वती से क्षमा माँगते हैं और देवी अन्नपूर्णा के रूप में प्रकट होकर सभी को अन्न प्रदान करती हैं।

Kashi Annapurna Temple

मंदिर का निर्माण 1729 ई. में मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम द्वारा कराया गया था। यह मंदिर नागर शैली में निर्मित है, जिसमें एक विशाल मंडप, स्तंभों पर नक्काशी, और गर्भगृह में दो मूर्तियाँ हैं — एक पीतल की प्रतिमा, जो प्रतिदिन दर्शन के लिए उपलब्ध रहती है, और दूसरी स्वर्ण प्रतिमा, जो केवल दीपावली के बाद अन्नकूट महोत्सव पर दर्शन के लिए प्रकट की जाती है।

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मंदिर परिसर में प्रतिदिन प्रातः और संध्या आरती, भोग, और प्रसाद वितरण होता है। विशेष रूप से अन्नकूट उत्सव के दिन भक्तों को चावल, सिक्के और अनाज का प्रसाद मिलता है, जिसे घर में रखने से संपन्नता और अन्न की कभी कमी नहीं होती ऐसा विश्वास है।

Kashi Annapurna Temple

यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वाराणसी की आध्यात्मिक आत्मा, शिव-पार्वती की कथा, और भारतीय संस्कृति में अन्न की महत्ता का जीवंत प्रतीक भी है। श्री काशी अन्नपूर्णा मंदिर एक ऐसा स्थल है जहाँ भक्ति, करुणा और संतुलन एक साथ पूजे जाते हैं।