
Kashi Vishwanath Temple भारत के सबसे प्राचीन नगर वाराणसी के हृदय में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र ज्योतिर्लिंग है। यह मंदिर हिंदू धर्म के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे “विश्वेश्वर” — अर्थात् “संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी” — के रूप में पूजा जाता है।
काशी विश्वनाथ की पूजा का मुख्य कारण भगवान शिव की सर्वव्यापकता, मोक्षदायक शक्ति, और तीर्थराज काशी में उनकी उपस्थिति है। मान्यता है कि यह वही स्थान है जहाँ भगवान शिव ने ज्योतिर्लिंग रूप में स्वयं को प्रकट किया, जब ब्रह्मा और विष्णु ने अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने का प्रयास किया। शिव ने एक अनंत प्रकाश स्तंभ का रूप लिया, जिसे कोई भी देवता न पा सका — यही स्तंभ आज ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजित है।
Kashi Vishwanath Temple
मंदिर का इतिहास अत्यंत संघर्षपूर्ण रहा है। मूल मंदिर को मोहम्मद गोरी ने 1194 में ध्वस्त किया था। इसके बाद अकबर के शासनकाल में मान सिंह प्रथम और टोडर मल ने पुनर्निर्माण कराया। लेकिन 1669 में औरंगज़ेब ने मंदिर को फिर से गिराकर वहाँ ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई। वर्तमान मंदिर का निर्माण मराठा रानी अहिल्याबाई होलकर ने 1780 में पास के स्थल पर कराया।

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मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में निर्मित है, जिसमें स्वर्ण शिखर और चांदी के गर्भगृह हैं। महाराजा रणजीत सिंह ने 1835 में मंदिर के शिखरों को सोने से मढ़वाया था। 2021 में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का उद्घाटन हुआ, जो मंदिर को सीधे गंगा नदी से जोड़ता है। इससे श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है — 2023 में प्रतिदिन औसतन 45,000 भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते हैं।
Kashi Vishwanath Temple
यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक चेतना, संस्कृति, और इतिहास का जीवंत प्रतीक भी है। काशी विश्वनाथ मंदिर एक ऐसा स्थल है जहाँ भक्ति, मोक्ष और शिवत्व एक साथ पूजे जाते हैं।