
Lingaraj Temple Bhubaneswar ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन और भव्य मंदिर है। यह मंदिर न केवल शैव परंपरा का केंद्र है, बल्कि इसमें हरिहर (शिव और विष्णु का संयुक्त रूप) की पूजा होती है — जो इसे शैव–वैष्णव समन्वय का अद्वितीय स्थल बनाता है। भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर भगवान शिव के हरिहर रूप को समर्पित है। यह मंदिर कलिंग स्थापत्य, स्वयंभू लिंग और एकाम्र क्षेत्र की पौराणिक महत्ता का प्रतीक है।
🔱 पौराणिक और धार्मिक महत्ता
Lingaraj Temple Bhubaneswar
- लिंगराज को स्वयंभू लिंग माना जाता है — अर्थात् यह शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ है
- मंदिर एकाम्र क्षेत्र में स्थित है, जिसे ब्रह्म पुराण में “शिव का विश्राम स्थल” कहा गया है
- देवी पार्वती ने यहाँ बिंदु सरोवर का निर्माण किया था — जिसमें सभी पवित्र नदियों की बूंदें समाहित हैं
- भगवान लिंगराज को त्रिपुरांतक, हरिहर, और केशरीश्वर नामों से भी पूजा जाता है
🛕 मंदिर का इतिहास और स्थापत्य
- मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में सोमवंशी राजा जयति केशरी द्वारा कराया गया था
- वास्तुकला कलिंग शैली की है — जिसमें चार प्रमुख भाग होते हैं:
- विमान (गर्भगृह) – 55 मीटर ऊँचा शिखर
- जगमोहन – सभा मंडप
- नाट मंडप – उत्सव और नृत्य के लिए
- भोग मंडप – प्रसाद अर्पण हेतु
- मंदिर परिसर में 108 से अधिक छोटे–बड़े मंदिर स्थित हैं
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🎉 उत्सव और परंपरा
Lingaraj Temple Bhubaneswar
- महाशिवरात्रि, अशोकाष्टमी, और चंद्रभागा मेला यहाँ के प्रमुख पर्व हैं
- अशोकाष्टमी पर भगवान लिंगराज को रथ यात्रा में बिंदु सरोवर तक ले जाया जाता है
- मंदिर में गैर–हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है, लेकिन बाहर से दर्शन की अनुमति है