मुंबई। विज्ञापन जगत के महानायक और पद्मश्री से सम्मानित एड गुरु पीयूष पांडे का गुरुवार को निधन हो गया। 70 वर्ष की आयु में उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली। रिपोर्ट्स के अनुसार वे गंभीर संक्रमण से जूझ रहे थे। उनके निधन से विज्ञापन और मीडिया जगत में शोक की लहर है।
पीयूष पांडे वही शख्स हैं जिन्होंने ‘अबकी बार मोदी सरकार’ जैसा ऐतिहासिक स्लोगन लिखा था। उन्होंने ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ जैसे प्रतिष्ठित गाने के बोल भी लिखे। उनकी रचनात्मकता ने भारतीय विज्ञापन उद्योग को नई पहचान दी।
राजस्थान में जन्म, क्रिकेट से विज्ञापन तक का सफर
1955 में जयपुर (राजस्थान) में जन्मे पीयूष पांडे के परिवार में 7 बहनें और 2 भाई थे। उनके भाई प्रसून पांडे मशहूर डायरेक्टर हैं और बहन इला अरुण जानी-मानी सिंगर व एक्ट्रेस हैं।
उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया और राजस्थान रणजी टीम के लिए क्रिकेट भी खेला।
27 वर्ष की उम्र में उन्होंने विज्ञापन जगत में कदम रखा। शुरुआत अपने भाई प्रसून पांडे के साथ रेडियो जिंगल्स से की। वर्ष 1982 में उन्होंने विज्ञापन कंपनी Ogilvy से जुड़कर अपने करियर को नई दिशा दी। 1994 में उन्हें कंपनी के बोर्ड में नॉमिनेट किया गया।
पीयूष पांडे के यादगार विज्ञापन
पीयूष पांडे ने भारतीय विज्ञापन इतिहास में कई अमर कैम्पेन दिए—
- फेविकॉल का ‘ट्रक वाला विज्ञापन’ (2007) – एक ट्रक पर बैठे लोग जो कभी गिरते नहीं, “Fevicol ka mazboot jod” का प्रतीक बन गया।
- कैडबरी डेयरी मिल्क का ‘क्रिकेट वाला विज्ञापन’ – “कुछ खास है ज़िंदगी में” टैगलाइन से करोड़ों दिलों को छुआ।
- एशियन पेंट्स का ‘हर घर कुछ कहता है’ (2002) – दीवारों में यादें जगा देने वाला विज्ञापन जिसने ब्रांड को मार्केट लीडर बना दिया।
- हच (वोडाफोन) का ‘पग वाला विज्ञापन’ (2003) – “Wherever you go, Hutch is with you” को दोस्ती और भरोसे से जोड़ा।
- ‘दो बूंदें जिंदगी की’ (Pulse Polio) – भारत के सबसे सफल पब्लिक अवेयरनेस कैम्पेन में से एक।
पुरस्कार और सम्मान
पीयूष पांडे को वर्ष 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2024 में उन्हें LIA लीजेंड अवॉर्ड भी मिला। वे दैनिक भास्कर ग्रुप के बोर्ड में 10 साल तक इंडिपेंडेंट डायरेक्टर रहे।
उनके निधन पर विज्ञापन और मीडिया जगत की दिग्गज हस्तियों ने गहरा शोक जताया है।
