
Pregnant Woman Wrong Blood Transfusion. जयपुर के चाकसू क्षेत्र स्थित एक निजी अस्पताल में चिकित्सा लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है, जहाँ एक सात महीने की गर्भवती महिला को गलत ब्लड चढ़ा दिया गया। महिला की हालत बिगड़ने पर उसे तुरंत एसएमएस अस्पताल, जयपुर रेफर किया गया, जहाँ उसका इलाज फिलहाल जारी है। घटना शनिवार दोपहर करीब 3 बजे की बताई जा रही है।
मोहिनी देवी (30), जो नमोनारायण यादव की पत्नी हैं, को ब्लड की कमी के कारण चाकसू के लाइफ केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिजनों के अनुसार, मोहिनी का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव था, जिसे अस्पताल के फॉर्म में स्पष्ट रूप से दर्ज किया गया था। इसके बावजूद नर्सिंग स्टाफ ने उसे ए पॉजिटिव ब्लड चढ़ा दिया, जिससे उसकी तबीयत अचानक बिगड़ने लगी।
Pregnant Woman Wrong Blood Transfusion
परिजनों ने आरोप लगाया कि जब अस्पताल प्रबंधन को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उन्होंने उस ब्लड पैकेट को पीछे के नाले में फेंक दिया। पूछताछ करने पर नर्सिंग स्टाफ ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया और मरीज को जल्दबाज़ी में जयपुर रेफर कर दिया गया। रामजीलाल यादव, जो मोहिनी के जेठ हैं, ने बताया कि अस्पताल ने मामले को दबाने की कोशिश की और परिजनों को अकेले में बुलाकर समझौता करने का प्रस्ताव भी रखा।
अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. इरफान खान ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि मोहिनी का हीमोग्लोबिन 4.1 और प्लेटलेट्स 44,000 थे, जिसके चलते ब्लड ट्रांसफ्यूजन आवश्यक था। उन्होंने स्वीकार किया कि एक स्टाफ सदस्य ने गलती से दूसरी मरीज कमला का ब्लड मोहिनी को चढ़ा दिया। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि केवल 1 एमएल ब्लड ही चढ़ाया गया था और तुरंत प्रक्रिया रोक दी गई।
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मोहिनी को एसएमएस अस्पताल में रेफर कर दिया गया है, जहाँ विशेषज्ञों की निगरानी में उसका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, उसकी हालत स्थिर है लेकिन गर्भस्थ शिशु पर खतरा बना हुआ है। उपजिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. रविंद्र नारोलिया ने कहा कि ब्लड ट्रांसफ्यूजन हमेशा डॉक्टर की मौजूदगी में होना चाहिए। गलत ब्लड चढ़ाने से मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है।
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इस घटना ने चिकित्सा प्रणाली की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग से मामले की गहन जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक व्यक्ति की गलती नहीं, बल्कि पूरे अस्पताल तंत्र की लापरवाही है।
स्वास्थ्य विभाग ने मामले की प्राथमिक जानकारी के आधार पर जांच के आदेश दे दिए हैं। यदि लापरवाही की पुष्टि होती है, तो अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इस बीच, मोहिनी के परिवार को न्याय दिलाने की मांग सोशल मीडिया पर भी उठने लगी है।
यह घटना न केवल एक मरीज की जान को खतरे में डालती है, बल्कि पूरे चिकित्सा तंत्र की पारदर्शिता और सुरक्षा पर सवाल उठाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में सख्त निगरानी, बेहतर प्रशिक्षण और जवाबदेही सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है।