राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: प्लेसमेंट एजेंसी से नियुक्त कर्मचारियों को मिलेगा 2022 के नियमों का लाभ, हजारों को राहत

कोर्ट ने कहा: सार्वजनिक विज्ञापन से हुई नियुक्ति ही पर्याप्त

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए नियुक्त कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए राजस्थान कांट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट्स रूल्स 2022 का लाभ देने के आदेश दिए हैं। जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण और जस्टिस बिपिन गुप्ता की खंडपीठ ने साफ किया कि यदि कोई कर्मचारी नियम 3 की सभी शर्तें पूरी करता है, तो उसे 2022 के नियमों का लाभ मिलेगा।

सरकार की दलील खारिज

राज्य सरकार ने यह दलील दी थी कि केवल सीधे सरकारी विज्ञापन के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों को ही 2022 के नियमों का लाभ मिलेगा, जबकि प्लेसमेंट एजेंसी से नियुक्त कर्मचारियों को बाहर रखा जाएगा। लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि नियमों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कॉन्ट्रैक्ट का कोई भेद नहीं किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला

हाईकोर्ट ने मंगलौर गणेश बीड़ी वर्क्स बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले का हवाला दिया। अदालत ने कहा कि कल्याणकारी कानूनों में मुख्य नियोक्ता पर दायित्व होता है, चाहे नियुक्ति सीधे की गई हो या ठेकेदार/एजेंसी के माध्यम से।

अपनी दलील से फंसी सरकार

सुनवाई के दौरान सरकार ने खुद स्वीकार किया कि एजेंसी के माध्यम से नियुक्त कर्मचारी भी आवश्यक योग्यता रखते हैं और सीधे नियुक्त कर्मचारियों की तरह ही काम कर रहे हैं। इसके बावजूद सरकार ने उन्हें लाभ से वंचित रखा था। अदालत ने इसे शोषण बताया।

हजारों कर्मचारियों को लाभ

26 अगस्त 2025 को सुनाए गए इस फैसले से मनरेगा सहित विभिन्न योजनाओं में कार्यरत हजारों कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को राहत मिलेगी। अदालत ने कहा कि यदि सरकार इन्हें 2022 के नियमों में शामिल नहीं करती है तो यह अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों का उल्लंघन होगा।