दफ्तरों में बाबू-सहायक बन बैठे सफाई कर्मचारियों पर सख्ती

सरकार का आदेश — सभी निकायों को निर्देश, सफाईकर्मियों को मूल काम पर लौटाओ, हर माह एरिया-वाइज उपस्थिति भेजनी होगी

जयपुर। राजस्थान के नगरीय निकायों (नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका) में नियुक्त सफाई कर्मचारियों पर अब सरकार ने सख्ती दिखाई है। बड़ी संख्या में ऐसे कर्मचारी, जिन्हें शहर की सफाई के लिए भर्ती किया गया था, वे वर्षों से दफ्तरों में बाबू, सहायक या चपरासी का काम कर रहे हैं। इस पर लगाम कसने के लिए स्वायत्त शासन निदेशालय ने आदेश जारी किए हैं। निदेशालय ने सभी अधिशाषी अधिकारियों और आयुक्तों को निर्देश दिया है कि ऐसे कर्मचारियों को तुरंत उनके मूल कार्य यानी सफाई कार्य में लगाया जाए। साथ ही, प्रत्येक निकाय से कहा गया है कि कर्मचारियों की एरिया वाइज उपस्थिति रिपोर्ट हर माह गूगल शीट पर अपलोड कर निदेशालय को भेजी जाए

2018 भर्ती से जुड़े हजारों कर्मचारी

साल 2018 में राज्य में करीब 21 हजार से अधिक सफाई कर्मचारी भर्ती किए गए थे। आवेदन प्रक्रिया के बाद कैटेगरी वाइज लॉटरी निकालकर उम्मीदवारों को नियुक्ति दी गई थी। लेकिन अब बड़ी संख्या में कर्मचारी सफाई का काम छोड़कर दफ्तरों में बाबू या जूनियर असिस्टेंट की तरह कार्य कर रहे हैं। कुछ तो नेताओं (विधायक, मंत्री या अन्य पदाधिकारियों) के निजी सहायक के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं। इस वजह से नगर निकायों में सफाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है और मजबूरन स्थानीय निकायों को कॉन्ट्रैक्ट पर सफाईकर्मी रखने पड़ रहे हैं

ग़ैर-हाज़िर कर्मचारियों को लौटने का आदेश

निदेशालय ने यह भी पाया कि कई सफाईकर्मी निकायों से हटकर अन्य विभागों—जैसे कलेक्ट्रेट या जिला स्तर के दफ्तरों—में काम कर रहे हैं। ऐसे सभी कर्मचारियों को तुरंत मूल विभाग (नगर निकाय) में वापस बुलाने के आदेश दिए गए हैं।

सरकार ने साफ चेतावनी दी है कि अगर कोई सफाईकर्मी अपने मूल काम से बचने की कोशिश करता है या आदेश की अवहेलना करता है तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। इस आदेश के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि सफाईकर्मियों की उपस्थिति सड़कों और वार्डों में दिखेगी, जिससे शहरों की सफाई व्यवस्था में सुधार हो सकेगा।