
Ramanathaswamy Temple Rameswaram भारत के चारधाम तीर्थों में से एक रामनाथस्वामी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह बारह ज्योतिर्लिंगों में भी शामिल है। यह मंदिर रामेश्वरम द्वीप पर स्थित है, जहाँ भगवान राम ने लंका पर विजय से पूर्व शिव की आराधना की थी।
रामेश्वरम में स्थित रामनाथस्वामी मंदिर भगवान शिव के रामलिंगम और विश्वलिंगम रूपों को समर्पित है। यह मंदिर चारधाम तीर्थ, ज्योतिर्लिंग और रामायण की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है।
Ramanathaswamy Temple Rameswaram
🔱 पौराणिक कथा और धार्मिक महत्ता
- रामायण के अनुसार, भगवान राम ने रावण वध के बाद ब्रह्महत्या दोष से मुक्ति पाने हेतु शिवलिंग की स्थापना की
- उन्होंने हनुमान को कैलाश से लिंग लाने भेजा, लेकिन विलंब होने पर सीता ने रेत से लिंग बनाया — जिसे रामलिंगम कहा जाता है
- हनुमान द्वारा लाया गया लिंग भी स्थापित किया गया — जिसे विश्वलिंगम कहते हैं
- आज भी मंदिर में पहले विश्वलिंगम की पूजा होती है, फिर रामलिंगम की

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🛕 मंदिर का इतिहास और स्थापत्य
- मंदिर का मूल निर्माण पांड्य और जाफ़ना राजाओं द्वारा प्रारंभ हुआ
- 12वीं–17वीं शताब्दी में सेतुपति राजाओं और नागरथर समुदाय द्वारा विस्तार किया गया
- मंदिर की विशेषता है इसका 1220 मीटर लंबा गलियारा — जो भारत का सबसे लंबा मंदिर गलियारा है
- गर्भगृह में स्थित शिवलिंग रेत से बना हुआ है और अत्यंत पूजनीय माना जाता है
🌊 आध्यात्मिक परंपरा और तीर्थ यात्रा
Ramanathaswamy Temple Rameswaram
- मंदिर के पास स्थित अग्नि तीर्थम में स्नान कर भक्त मंदिर में प्रवेश करते हैं
- यह स्थल शैव, वैष्णव और स्मार्त परंपराओं के लिए समान रूप से पूजनीय है
- रामेश्वरम को “ईश्वर द्वारा राम की पूजा का स्थल” माना जाता है — hence the name Rameshwaram
- “रामनाथस्वामी मंदिर का भव्य गोपुरम और प्रवेश द्वार”
- “गर्भगृह में विराजमान रामलिंगम और विश्वलिंगम”
- “मंदिर का 1220 मीटर लंबा गलियारा”
- “अग्नि तीर्थम में स्नान करते श्रद्धालु”
- “रामेश्वरम द्वीप पर स्थित मंदिर परिसर का दृश्य”