
RSS NSUI Clash Rajasthan University: राजस्थान यूनिवर्सिटी में मंगलवार शाम आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शस्त्र पूजन कार्यक्रम में NSUI कार्यकर्ताओं के विरोध के चलते भारी हंगामा हो गया। कार्यक्रम में संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम मुख्य अतिथि थे। विरोध के दौरान स्टेज पर तोड़फोड़, बैनर फाड़े गए और पुलिस को बारिश के बीच लाठीचार्ज करना पड़ा। इस घटना में 6 छात्र घायल हुए और 12 NSUI कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया।
⚔️ शस्त्र पूजन कार्यक्रम और विरोध की शुरुआत
RSS NSUI Clash Rajasthan University
RSS का यह कार्यक्रम संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था, जिसमें लगभग 600 छात्र, शिक्षक और स्वयंसेवक शामिल हुए। NSUI कार्यकर्ता सुबह से ही यूनिवर्सिटी परिसर में जुटने लगे और शाम को स्टेज पर पहुंचकर बैनर फाड़े और मंच पर तोड़फोड़ की। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया।
🚨 पुलिस कार्रवाई और आरोप
गांधीनगर थाना पुलिस के अनुसार, NSUI कार्यकर्ता बिना अनुमति परिसर में घुसे और कार्यक्रम को बाधित करने की कोशिश की। पुलिस ने स्थिति बेकाबू होते देख लाठीचार्ज किया। NSUI नेताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने RSS के इशारे पर कार्रवाई की और उनकी गाड़ियों में भी तोड़फोड़ की गई।
🗣️ राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
NSUI छात्र नेता महेश चौधरी और नीरज खींचड़ ने पुलिस और RSS कार्यकर्ताओं पर बर्बरता और मारपीट के आरोप लगाए। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “शिक्षा के मंदिर में शस्त्र पूजन जैसे कार्यक्रम आपत्तिजनक हैं” और RSS को एक्स्ट्रा-कॉन्स्टिट्यूशनल अथॉरिटी करार दिया। उन्होंने पुलिस पर RSS के दबाव में काम करने का आरोप लगाया।
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🕊️ संघ की प्रतिक्रिया और कार्यक्रम का समापन
RSS के नगर संघचालक रविशंकर चौधरी ने कहा कि कार्यक्रम देशभक्ति वातावरण में सम्पन्न हुआ और NSUI कार्यकर्ताओं ने अनावश्यक विरोध किया। उन्होंने बताया कि बरसात के कारण कार्यक्रम स्थल बदला गया था, लेकिन विरोधियों ने खाली मंच पर तोड़फोड़ की और स्वयंसेवकों से मारपीट की कोशिश की।
🇮🇳 निष्कर्ष
RSS NSUI Clash Rajasthan University
राजस्थान यूनिवर्सिटी में हुई यह घटना शैक्षणिक संस्थानों में राजनीतिक टकराव और लोकतांत्रिक विरोध की सीमाओं पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जहां एक ओर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठे, वहीं दूसरी ओर शिक्षा के स्थान पर राजनीतिक आयोजनों की वैधता पर बहस तेज हो गई है।