शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ: शिव मंदिरों में घंटी की सांस्कृतिक महत्ता

“भक्त पूजा से पहले घंटी बजाते हुए”

Shiva Temple Bell Significance: हिंदू धर्म में घंटी को केवल एक ध्वनि नहीं, बल्कि नाद ब्रह्म और शुभता का प्रतीक माना गया है। पूजा से पहले घंटी बजाना एक सामान्य परंपरा है, लेकिन भारत के कुछ प्राचीन शिव मंदिरों में यह केवल रस्म नहीं, बल्कि पूजन प्रक्रिया का अनिवार्य हिस्सा है। ऐसी मान्यता है कि घंटी की ध्वनि नकारात्मकता को दूर करती है और भक्त की चेतना को जागृत करती है।

🔔 घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, औरंगाबाद

Shiva Temple Bell Significance

महाराष्ट्र के एलोरा गुफाओं के निकट स्थित यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में अंतिम स्थान रखता है। यहां हर भक्त को मंदिर में प्रवेश से पहले मुख्य द्वार पर लगी घंटी बजाना अनिवार्य है। यह घंटी भगवान शिव के प्रति पूर्ण समर्पण और उपस्थिति की घोषणा मानी जाती है। मान्यता है कि घंटी बजाकर मंदिर में प्रवेश करने से मन शुद्ध होता है और मन्नतें पूरी होती हैं।

🔔 घंटेश्वर महादेव मंदिर, रेवाड़ी

हरियाणा के रेवाड़ी में स्थित इस मंदिर की पहचान है — यहां लगी सैकड़ों छोटी-बड़ी घंटियाँ। दर्शन के लिए आने वाला हर भक्त पहले घंटी बजाता है, जो यहां की पूजा पद्धति का मूल हिस्सा है। श्रद्धालु मनोकामना पूरी होने पर बड़ी पीतल की घंटी चढ़ाते हैं, जिन्हें मंदिर परिसर में सम्मानपूर्वक टांगा जाता है।

🕉️ घंटी की आध्यात्मिक व्याख्या

शास्त्रों के अनुसार, घंटी की ध्वनि “ॐ” के कंपन से जुड़ी होती है। यह वातावरण को शुद्ध करती है, ध्यान केंद्रित करती है और पूजा स्थल को दिव्यता प्रदान करती है। शिव मंदिरों में यह ध्वनि भक्ति, जागृति और ऊर्जा का प्रतीक बन चुकी है।

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🇮🇳 निष्कर्ष

Shiva Temple Bell Significance

भारत के शिव मंदिरों में घंटी केवल एक धातु नहीं, बल्कि धार्मिक चेतना और आध्यात्मिक संवाद का माध्यम है। जब भक्त श्रद्धा से घंटी बजाते हैं, तब वह केवल भगवान को नहीं पुकारते — बल्कि स्वयं को भी भीतर से जागृत करते हैं। यही है धर्म की गहराई और शास्त्रों की बात।