श्यालावास केंद्रीय कारागृह में कैदियों पर अब ‘टेक्नोलॉजी का पहरा’

टी-एचसीबीएस सिस्टम से जेल में मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट पर लगेगी रोक, बढ़ेगी सुरक्षा व्यवस्था

दौसा। श्यालावास केंद्रीय कारागृह में सुरक्षा के स्तर को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। यहां टी-एचसीबीएस (टेलीकॉम हाई-कैपेबिलिटी ब्लॉकिंग सिस्टम) लगाने का कार्य शुरू हो गया है। यह आधुनिक तकनीक जेल के भीतर अवैध मोबाइल और इंटरनेट कॉलिंग को पूरी तरह से रोकने में सक्षम होगी।

जेल अधीक्षक पारस जांगिड़ ने बताया कि परियोजना के पहले चरण में सिविल वर्क किया जा रहा है, जिसमें टावर की नींव और संरचनात्मक ढांचा तैयार किया जा रहा है। इसके बाद टावर पर मोबाइल नेटवर्क सेवा प्रदाताओं की सिग्नल-ब्लॉकिंग यूनिट्स स्थापित की जाएंगी।

यह प्रणाली विभिन्न मोबाइल कंपनियों की नेटवर्क फ्रीक्वेंसी को नियंत्रित कर जेल परिसर के भीतर कॉल और डेटा ट्रांसमिशन को ब्लॉक करेगी। इसका मतलब यह होगा कि अब जेल के अंदर कैदियों द्वारा मोबाइल फोन का उपयोग या नेटवर्क प्राप्त करना लगभग असंभव हो जाएगा। इस तकनीकी परियोजना को पूरा करने में लगभग 3 से 4 महीने का समय लगने का अनुमान है।

🔒 अवैध कॉलिंग पर सख्त लगाम

जेल अधीक्षक पारस जांगिड़ ने बताया कि राज्य सरकार की इस पहल का उद्देश्य जेलों में अपराधियों और बाहरी नेटवर्क के गठजोड़ को खत्म करना है। कई बार कैदी चोरी-छिपे मोबाइल फोन का उपयोग कर बाहरी अपराधियों से संपर्क बनाए रखते हैं, जिससे जेल के भीतर से ही अपराध की साजिशें रची जाती हैं। अब टी-एचसीबीएस सिस्टम के सक्रिय होने के बाद ऐसे सभी प्रयासों पर सख्ती से अंकुश लगेगा।

उन्होंने कहा कि यह तकनीक न केवल सुरक्षा व्यवस्था को और पारदर्शी बनाएगी, बल्कि कारागार प्रशासन को अनुशासित और जवाबदेह बनाने में भी अहम भूमिका निभाएगी।

श्यालावास केंद्रीय कारागृह में यह तकनीकी कदम राजस्थान की जेल प्रणाली को स्मार्ट सिक्योरिटी की दिशा में एक बड़ा बदलाव साबित करेगा।