
Tanot Mata Temple राजस्थान के जैसलमेर ज़िले में भारत-पाक सीमा के निकट स्थित तनोट माता मंदिर एक ऐसा धार्मिक स्थल है, जहाँ आस्था और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह मंदिर देवी हिंगलाज माता के अवतार तनोट माता को समर्पित है, जिन्हें युद्ध की देवी और रक्षक शक्ति के रूप में पूजा जाता है।

मंदिर की स्थापना 828 ई. में भाटी राजपूत राजा तनु राव द्वारा की गई थी। देवी की मूर्ति को थार रेगिस्तान के बीच स्थापित किया गया, जहाँ आज यह मंदिर भारतीय सेना की देखरेख में स्थित है। तनोट माता को अवद माता के नाम से भी जाना जाता है, जो चारण जाति में जन्मी थीं और करणी माता की पूर्ववर्ती मानी जाती हैं।
Tanot Mata Temple
तनोट माता की पूजा का मुख्य कारण उनकी रक्षक शक्ति और चमत्कारी इतिहास है। 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों के दौरान पाकिस्तान द्वारा मंदिर क्षेत्र में हजारों बम गिराए गए, लेकिन स्थानीय मान्यता के अनुसार, वे या तो फटे नहीं या मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुँचा। यह घटना आज भी मंदिर को चमत्कारी स्थल के रूप में स्थापित करती है।
भारतीय सेना के जवान तनोट माता को सीमा की रक्षक देवी मानते हैं। मंदिर परिसर में एक विजय स्तंभ भी स्थापित है, जो 1971 के लौंगेवाला युद्ध में भारत की जीत का प्रतीक है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु देवी से सुरक्षा, साहस और विजय की कामना करते हैं।
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तनोट माता को देवी दुर्गा का एक उग्र रूप माना जाता है। उनकी पूजा में विशेष रूप से शक्ति, रक्षा और राष्ट्र सेवा की भावना समाहित होती है। श्रद्धालु यहाँ फूल, नारियल, और चुनरी अर्पित करते हैं, और मंदिर में प्रतिदिन आरती और पूजा अनुष्ठान आयोजित होते हैं।
Tanot Mata Temple
यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की सैन्य विरासत, सांस्कृतिक गौरव, और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक भी है। तनोट माता मंदिर एक ऐसा स्थल है जहाँ आस्था और वीरता एक साथ पूजी जाती हैं।