जिस नवजात को मृत बताकर परिवाजनों को सौंप दिया, उसकी घर पहुंचते ही चलने लगी सांस, आज सुबह तोड़ा दम

उदयपुर। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही ने जिस नवजात को मृत बताकर परिवारजनों को सौंप दिया, वह घर पहुँचते-पहुँचते जिंदा निकला। इसकी पुष्टि गांव चंदेसरा पीएचसी के नर्सिंग स्टाफ ने की। यह लापरवाही है उदयपुर के एमबी अस्पताल के चिकित्सकों की। रात को नवजात को उदयपुर के महाराणा भूपाल राजकीय अस्पताल रैफर कर दिया गया। हालांकि बुधवार सुबह साढ़े पांच बजे बच्चे ने दम तोड़ दिया।
अस्पताल प्रशासन की यह जानलेवा लापरवाही मावली क्षेत्र की नउवा पंचायत के खादरा का वाड़ा निवासी लोकेश गमेती के परिवार के साथ हुई। गांव निवासी 21 वर्षीय ममता गमेती को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन मंगलवार सुबह 11 बजे चंदेसरा पीएचसी ले गए थे। जहां उसे भर्ती कर लिया। शाम चार बजे यहां उसने लड़के को जन्म दिया। मौजूद नर्सिंग स्टाफ ने बच्चे को सांस लेने में तकलीफ और कमजोर बताकर अस्पताल की 104 एंबुलेंस से उदयपुर रैफर कर दिया।
ये शाम छह बजे उदयपुर पहुंच गए। शाम सात बजे उदयपुर हॉस्पिटल से स्टाफ ने वापस परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ बच्चे को मृत बताकर कहा कि इसको लेकर जाओ। जिसके बाद परिजन बच्चे को लेकर अपने घर आ रहे थे। रास्ते मे बच्चे ने उसकी दादी पर टॉयलेट किया। इस पर दादी ने देखा तो बच्चा सांस ले रहा था।
शाम 7.30 बजे 104 से वापस परिजन बच्चे को लेकर चंदेसरा आदर्श स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंच गए जहां मौजूद नर्सिंगकर्मी गंगाराम सालवी ने बच्चे को देखा तो बच्चा जीवित था। 7.45 बजे 108 को फोन किया गया। जिस पर मावली से 108 चंदेसरा आदर्श स्वास्थ्य केंद्र 9.15 बजे पहुंची।
तब तक चंदेसरा आदर्श स्वास्थ्य केंद्र पर बच्चे को उसकी दादी ने अपने सीने से लगाकर रखा हुआ था। चंदेसरा आदर्श स्वास्थ्य केंद्र पर ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की कोई व्यवस्था नहीं थी एवं डॉक्टर भी मौजूद नहीं थी। लगभग 1 घंटा व 30 मिनिट तक बच्चा सांस की तकलीफ से गुजरता रहा ओर उसकी मां व परिजन परेशान होते रहे। इसके बाद बच्चे को फिर उदयपुर ले जाया गया। उसे वेंटीलेटर पर ले लिया गया। रात भर बच्चा वेंटीलेटर पर रहा और सुबह 5.30 बजे बच्चे ने दम तोड़ दिया।
बाल चिकित्सालय में मृत बताने के बाद परिजन नवजात को अंतिम क्रिया करने की सोचकर घर नउवा जा रहे थे। दादी मांगीबाई गमेती ने बताया कि मैं पूरे रास्ते बच्चे को सीने से चिपकाए रही। बच्चे की सांसें चलने का अहसास हुआ। कुछ देर में उसने बाथरूम किया तो उसे विश्वास हो गया कि बच्चा जिंदा है। उदयपुर से नउवा पहुंचने में उन्हें करीब एक घंटा लगा।