त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग: तीन देवों का एक रूप, गोदावरी की उत्पत्ति और मोक्ष का द्वार

गर्भगृह में स्थित तीन मुखों वाला शिवलिंग
नासिक के त्र्यंबक नगर में स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के त्रिमूर्ति रूप को समर्पित है। यह मंदिर गोदावरी नदी की उत्पत्ति, कुशावर्त कुंड और कुंभ मेले की परंपरा से जुड़ा हुआ है।

Trimbakeshwar Jyotirlinga महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के त्र्यंबक नगर में स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र स्थल है। यह मंदिर हिंदू धर्म के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और अपनी विशिष्टता के कारण विशेष श्रद्धा का केंद्र है — यहाँ का शिवलिंग तीन मुखों वाला है, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है।

त्र्यंबकेश्वर की पूजा का मुख्य कारण भगवान शिव की त्रिमूर्ति रूप, मोक्षदायक शक्ति, और गोदावरी नदी की उत्पत्ति से जुड़ी पौराणिक कथा है। मान्यता है कि गौतम ऋषि ने यहाँ कठोर तप किया और शिव से वरदान माँगा कि वे गोदावरी को पृथ्वी पर लाएँ। शिव ने अपनी जटाओं से गंगा को प्रवाहित किया, जो यहाँ गोदावरी के रूप में प्रकट हुई।

Trimbakeshwar Jyotirlinga

मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। वर्तमान मंदिर का निर्माण पेशवा बालाजी बाजीराव ने 18वीं शताब्दी में कराया था, जब औरंगज़ेब द्वारा पुराना मंदिर ध्वस्त कर दिया गया था। मंदिर की वास्तुकला हेमाडपंथी शैली में निर्मित है — जिसमें काले पत्थर की दीवारें, नक्काशीदार स्तंभ, और गर्भगृह में स्थित तीन मुखों वाला शिवलिंग है।

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यह शिवलिंग भूमि के नीचे स्थित है और अभिषेक के कारण धीरे-धीरे क्षीण होता जा रहा है। इसे जल से स्नान कराना ही पूजा का मुख्य भाग है। मंदिर परिसर में स्थित कुशावर्त कुंड को गोदावरी का उद्गम स्थल माना जाता है, जहाँ स्नान करने से पापों का नाश होता है।

Trimbakeshwar Jyotirlinga

त्र्यंबकेश्वर मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक चेतना, ज्योतिर्लिंग परंपरा, और कुंभ मेले का प्रमुख स्थल भी है। हर 12 वर्षों में यहाँ नासिक-त्र्यंबक कुंभ मेला आयोजित होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।