
Trinetra Ganesh Temple राजस्थान के सवाई माधोपुर ज़िले में स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर एक अत्यंत पूजनीय और ऐतिहासिक स्थल है, जो रणथंभौर दुर्ग के भीतर स्थित है। यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है, जिनकी मूर्ति यहाँ तीन नेत्रों (त्रिनेत्र) के साथ विराजमान है — जो उनकी सर्वज्ञता और दिव्यता का प्रतीक है।
त्रिनेत्र गणेश जी की पूजा का मुख्य कारण उनकी विघ्नहर्ता शक्ति, चमत्कारी प्रकट कथा, और परिवार सहित विराजमान स्वरूप है। मान्यता है कि 13वीं शताब्दी में रणथंभौर के शासक राजा हम्मीर देव चौहान ने युद्ध के समय भोजन और सामग्री की कमी से परेशान होकर भगवान गणेश से प्रार्थना की। उसी रात उन्हें स्वप्न में गणेश जी के दर्शन हुए और अगली सुबह दुर्ग की दीवार पर गणेश जी की त्रिनेत्र मूर्ति प्रकट हुई। इसके बाद युद्ध में राजा को विजय प्राप्त हुई और उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया।
Trinetra Ganesh Temple
यह मंदिर भारत का एकमात्र ऐसा गणेश मंदिर है जहाँ भगवान गणेश अपने पूरे परिवार — पत्नी रिद्धि-सिद्धि और पुत्र शुभ-लाभ — के साथ विराजमान हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित विशाल घंटा की ध्वनि पूरे दुर्ग परिसर में गूंजती है, जो भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देती है।

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मंदिर की वास्तुकला चौहान वंशीय शैली में निर्मित है, जिसमें पत्थर की दीवारें, सरल लेकिन प्रभावशाली गर्भगृह, और रणथंभौर दुर्ग की पृष्ठभूमि इसे विशिष्ट बनाती है। यह दुर्ग स्वयं एक UNESCO विश्व धरोहर स्थल है, जो मंदिर की ऐतिहासिक महत्ता को और बढ़ाता है।
त्रिनेत्र गणेश मंदिर में प्रतिदिन प्रभात आरती, श्रृंगार आरती, भोग, संध्या आरती, और शयन आरती होती है। भक्त यहाँ नवविवाह के निमंत्रण पत्र, व्यापार आरंभ, और यात्रा से पूर्व भगवान को अर्पित करते हैं — जिससे वे हर कार्य में सफलता और विघ्नों से मुक्ति की कामना करते हैं।
Trinetra Ganesh Temple
यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत, चमत्कारों की परंपरा, और आध्यात्मिक चेतना का जीवंत प्रतीक भी है। त्रिनेत्र गणेश मंदिर एक ऐसा स्थल है जहाँ भक्ति, इतिहास और दिव्यता एक साथ पूजी जाती हैं।