सभी सत्य विद्याओं का मूल वेद – आचार्य हरिशंकर अग्निहोत्रि

यजुर्वेद पारायण महायज्ञ का रविवार को पूर्णाहुति के साथ होगा समापन

गंगापुर सिटी। आर्य समाज गंगापुर सिटी में बीते 6 दिनों से चल रहे यजुर्वेद पारायण महायज्ञ का समापन रविवार को किया जाएगा। आर्य समाज के प्रवक्ता आशुतोष आर्य ने जानकारी देते हुए बताया कि यज्ञ का समापन प्रातः 11 बजे पूर्णाहुति के साथ संपन्न होगा।

महायज्ञ के ब्रह्मा आचार्य हरिशंकर अग्निहोत्रि जी ने शनिवार को विभिन्न यजमान दंपतियों—हरिसिंह राजपूत, हरिचरण पोसवाल, दीपक गुप्ता, पुनीत गर्ग, दिनेश गंगारदा, विजय जी, राम किशन सैनी सहित अन्य से यजुर्वेद मंत्रों का पाठ कराते हुए यज्ञ में आहुति दिलवाई। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि सभी सत्य विद्याओं का मूल वेद है। स्वामी दयानंद सरस्वती ने जन्म-आधारित जाति-प्रथा का विरोध किया था और गुण, कर्म एवं स्वभाव पर आधारित वैदिक वर्ण व्यवस्था का समर्थन किया। इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति की पहचान जन्म से नहीं बल्कि उसके कर्मों से होती है।

आचार्य अग्निहोत्रि ने कहा कि आज समाज में जन्म-आधारित वर्ण व्यवस्था प्रचलन में है, जो विघटन और वैमनस्य का मुख्य कारण है। दयानंद सरस्वती ने वेदों के आधार पर सामाजिक समरसता, स्त्रियों और शूद्रों को वेद अध्ययन का अधिकार तथा छुआछूत का विरोध कर एक नई सामाजिक चेतना का निर्माण किया।

कार्यक्रम में सहारनपुर (उत्तरप्रदेश) से पधारे भजनोपदेशक सुमित अंगिरस ने मनमोहक भजनों और गीतों की प्रस्तुति दी। उनके प्रस्तुत किए गए भजन—“सुख भी प्यारे हैं दुःख भी मुझे प्यारे हैं, छोड़ूं मैं किसे भगवान दोनों ही तुम्हारे हैं…” तथा “हिम्मत न हारिए, प्रभु न बिसारिए, हंसते मुस्कुराते हुए जीवन गुजारिए…” ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।

इस अवसर पर पंडित मदनमोहन आर्य, नरेंद्र आर्य, संतोष मसावता, संजय आर्य, मदन मोहन बजाज, वीरेंद्र आर्य, विश्व बंधु आर्य, सोम मुनि, सुमन आर्य, पुष्पा आर्य, मीनू आर्य, ललिता, शिमला, बबीता, मिथलेश आर्य सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं की भीड़ ने आध्यात्मिक वातावरण को और अधिक पावन बना दिया।

👉 यह महायज्ञ आर्य समाज की सामाजिक समरसता, वेद प्रचार और दयानंद सरस्वती के आदर्शों को आगे बढ़ाने की एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।