 
Brihadeeswarar Temple Thanjavur दक्षिण भारत के तंजावुर नगर में स्थित बृहदेश्वर मंदिर, जिसे स्थानीय रूप से थंजई पेरिया कोविल या राजराजेश्वरम कहा जाता है, भगवान शिव को समर्पित एक भव्य मंदिर है। यह मंदिर भारत के UNESCO विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है और चोल वंश की स्थापत्य कला का सर्वोत्तम उदाहरण माना जाता है।
मंदिर का विशाल शिखर (विमान), एक ही पत्थर से बनी नंदी की प्रतिमा, और चोल काल की अद्भुत द्रविड़ वास्तुकला। मंदिर की स्थापत्य गरिमा, ऐतिहासिक महत्ता और आध्यात्मिक ऊर्जा को जीवंत रूप में प्रस्तुत करते हैं।
🔱 पौराणिक और ऐतिहासिक महत्ता
- मंदिर का निर्माण राजराजा चोल प्रथम ने 1003–1010 ई. के बीच कराया था
- इसे “दक्षिण का मेरु” कहा जाता है — क्योंकि इसका शिखर 216 फीट ऊँचा है और यह पिरामिड आकार में मेरु पर्वत का प्रतीक है
- मंदिर में स्थित शिवलिंग भारत के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है
🛕 वास्तुकला और विशेषताएँ
Brihadeeswarar Temple Thanjavur
- मंदिर पूरी तरह से ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित है — जिसमें मोर्टार का प्रयोग नहीं किया गया
- शिखर पर स्थित 80 टन वजनी कुम्बम (कलश) को 6 किलोमीटर लंबी ढलान से चढ़ाकर स्थापित किया गया था
- मंदिर परिसर में स्थित 13 फीट ऊँची और 16 फीट चौड़ी नंदी की प्रतिमा एक ही पत्थर से तराशी गई है
- दीवारों पर उकेरी गई मूर्तियाँ शैव, वैष्णव और शक्त परंपरा को दर्शाती हैं

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🎨 सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व
Brihadeeswarar Temple Thanjavur
- मंदिर में शिवरात्रि, नवरात्रि, और अरुद्रा दर्शन जैसे पर्वों पर विशेष पूजा होती है
- यह स्थल द्रविड़ स्थापत्य, तमिल संस्कृति, और भारतीय मूर्तिकला का जीवंत संग्रहालय है
- यहाँ के तमिल शिलालेख और भित्ति चित्र चोल काल की सामाजिक, धार्मिक और प्रशासनिक व्यवस्था को दर्शाते हैं

 
		 
		