
कभी पंजाब का सबसे सुंदर शहर कहलाने वाला जालंधर अब धूल और प्रदूषण की चपेट में है। सरफेस वाटर प्रोजेक्ट की खुदाई ने महावीर मार्ग, गुरु रविदास चौक, तल्हन रोड और वेरका प्लांट जैसे व्यस्त इलाकों में आधे शहर की हवा जहरीली बना दी है।
सांस की तकलीफ और बीमारियाँ बढ़ीं:
आदर्श नगर और विजय नगर जैसी कॉलोनियों में मास्क पहनना अब मजबूरी बन गया है। दुकानदार और राहगीर खुदाई से उड़ रही मिट्टी से परेशान हैं। डॉक्टरों का कहना है कि पिछले हफ्तों में सांस और एलर्जी से जुड़े मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। धूल सीधे फेफड़ों, आंखों और त्वचा पर असर डाल रही है, जिससे दमा, टीबी, आंखों में संक्रमण और गले में खराश की शिकायतें आम हो गई हैं।
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सरकारी विभागों की लापरवाही:
नगर निगम और सीवरेज बोर्ड के अधिकारी हालात सुधारने में असहाय हैं। ट्रैफिक के वैकल्पिक मार्ग नहीं बनाए गए और खुदाई वाली सड़कों को सुरक्षित करने का कोई इंतजाम नहीं हुआ। लोग मांग कर रहे हैं कि मिट्टी पर पत्थर डालें, बैरिकेडिंग करें, रोलर चलाएँ और नियमित छिड़काव करवाया जाए।