
गंगापुर सिटी। शहर के मध्य स्थित बद्रीनाथ मंदिर को लेकर अग्रवाल-खंडेलवाल धर्मशाला ट्रस्ट और पुजारी रामेश्वर शर्मा के बीच बुधवार को एक बार फिर विवाद गहर गया। पिछले तीन वर्षों से चल रहा यह विवाद बुधवार को उस समय तीखा हो गया जब पुलिस ने मंदिर परिसर के बाहर मौजूद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया।

मंदिर में प्रवेश पर रोक, बाजार बंद
बुधवार को समाज के लोग मंदिर पहुंचकर विवाद सुलझाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया। आरोप है कि पुलिस के बल प्रयोग से लोगों में आक्रोश फैल गया। देखते ही देखते हजारों महिला-पुरुष मंदिर के बाहर धरने पर बैठ गए। हालात बिगड़ते देख शहर का मुख्य बाजार बंद हो गया और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू हो गई। धरने पर बैठे अग्रवाल-खण्डेलवाल समाज के लोगों का कहना है कि पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे समाज के कई लोग चोटिल हुए हैं। पुलिस प्रशासन के विरोध में गंगापुर सिटी सहित सवाईमाधोपुर, करौली, वजीरपुर में प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर निष्पक्ष जाँच की मांग की और ट्रस्ट की सम्पत्ति को पुजारी से मुक्त कराकर ट्रस्ट को सौंपने की मांग की।

पुजारी पर गाली-गलौज और मारपीट का आरोप
चार दिन पहले ही ट्रस्ट पदाधिकारियों ने पुजारी रामेश्वर शर्मा पर गाली-गलौज और मारपीट के आरोप लगाए थे। समाज का कहना है कि इस संबंध में थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने का प्रयास किया गया, लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की।
प्रशासन की सख्त निगरानी
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अतिरिक्त जिला अधिकारी रामकिशोर मीणा, उपखण्ड अधिकारी बृजेंद्र मीणा, एएसपी राकेश राजोरा, डीएसपी सीताराम, कोतवाली, सदर व अन्य थानों के अधिकारी और सैकड़ों पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे। एडीएम की मौजूदगी में ट्रस्ट और समाज के पदाधिकारियों के बीच बातचीत का दौर शुरू किया गया।
धरने में नगर परिषद सभापति शिवरतन अग्रवाल, पूर्व उपसभापति दीपक सिंघल, अग्रवाल-खण्डेलवाल धर्मशाला ट्रस्ट अध्यक्ष सहित समाज के कई प्रमुख लोग शामिल हुए। समाज की ओर से मांग की गई कि प्रशासन निष्पक्ष कार्रवाई करे और न्यायालय के आदेशों की पालना सुनिश्चित की जाए।

विवाद की जड़ – मंदिर पर अधिकार का सवाल
अग्रवाल-खंडेलवाल ट्रस्ट का दावा है कि बद्रीनाथ मंदिर समाज की संपत्ति है, जबकि पुजारी रामेश्वर शर्मा इसे सर्वसमाज का मंदिर बताते हैं। शर्मा परिवार कई पीढ़ियों से यहां पूजा-अर्चना और देखरेख करता आया है। पहले यह परिवार वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में कार्यरत था, लेकिन ट्रस्ट ने जब कर्मचारियों को बदलने का निर्णय लिया तो पुजारी परिवार ने मंदिर खाली करने से इनकार कर दिया। ट्रस्ट अध्यक्ष रवीन्द्र खण्डेलवाल ने बताया कि न्यायालय से ट्रस्ट के पक्ष में फैसला सुना दिया, इसके बावजूद प्रशासन ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की।

समाज में नाराज़गी, जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल
धरने और विरोध के बीच समाज के लोगों ने यह भी नाराज़गी जताई कि इतने बड़े विवाद और हालात बिगड़ने के बाद भी वर्तमान विधायक और पूर्व विधायक ने अग्रवाल-खंडेलवाल समाज की किसी तरह की मदद नहीं की। लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों की चुप्पी से समाज में असंतोष और गहरा गया है।
करोड़ों की संपत्ति दांव पर
ट्रस्ट का कहना है कि मंदिर और उससे जुड़ी धर्मशालाएं, दुकानें व अन्य संपत्तियां करोड़ों रुपए की हैं। करीब एक वर्ष से ट्रस्ट प्रशासनिक अनुमति लेकर मंदिर की मरम्मत और निर्माण कार्य करवा रहा है। इसी निर्णय के बाद विवाद और गहराता चला गया।