तीन दिन में एक बार आती है पानी की बारी, 20 मिनट की सप्लाई से नहीं बुझ रही जनता की प्यास- प्रशासन मौन
गंगापुर सिटी। एक ओर सरकार जनता को मूलभूत सुविधाएं देने के बड़े-बड़े वायदे करती है, वहीं दूसरी ओर गंगापुर सिटी के नागरिक आज पेयजल जैसी बुनियादी सुविधा के लिए तरस रहे हैं। चाहे सरकार भाजपा की रही हो या कांग्रेस की, गंगापुर की जनता का दर्द किसी ने नहीं समझा। नेता चुनावी मौसम में वादों की बारिश करते हैं, लेकिन पानी की असली बारिश नलों में कब होगी- इसका जवाब किसी के पास नहीं।
कभी इस शहर में सुबह-शाम दोनों वक्त पानी आता था। कुछ वर्षों बाद एक बार सुबह ही सप्लाई शुरू हुई। फिर यह स्थिति एक दिन छोडक़र एक दिन तक सीमित रह गई। और अब हालत यह है कि तीन दिन में सिर्फ एक बार पानी आता है – वो भी मुश्किल से 20 से 25 मिनट तक। ऐसे में लोगों के घरों में पीने, धोने, नहाने और सफाई तक के लिए पानी की भारी कमी है। दीपावली जैसे त्यौहार के समय यह समस्या और विकट हो जाती है।
यह सिर्फ एक तकनीकी खराबी नहीं, बल्कि जनता के साथ एक विश्वासघात है। भारत सरकार की “अमृत जल योजना”, “जल जीवन मिशन” जैसी योजनाओं के बावजूद गंगापुर सिटी की हकीकत बेहद निराशाजनक है। करोड़ों रुपये खर्च हो जाने के बाद भी जनता को राहत नहीं मिली है। पाइपलाइन लीकेज, टैंकों की सफाई और जल वितरण नेटवर्क की जाँच जैसी बुनियादी व्यवस्थाओं पर किसी का ध्यान नहीं है।
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता अब जनता को सडक़ पर उतरने पर मजबूर कर रही है। नागरिकों का कहना है कि दीपावली के त्यौहार से पहले पानी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हुई तो विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
अब वक्त है कि प्रशासन इस गंभीर संकट पर संज्ञान ले और स्थायी समाधान निकाले, ताकि गंगापुर सिटी की जनता को अपने ही शहर में “पानी के लिए तरसना” न पड़े।
