एजुकेशन और पर्यावरण: ग्रीन एजुकेशन की ओर बढ़ता भारत

Green Education India 2025: जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों की कमी जैसे मुद्दों ने अब शिक्षा को भी नई दिशा दी है। भारत में अब “ग्रीन एजुकेशन” यानी पर्यावरण केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है — जिससे छात्र न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूक बनें, बल्कि सतत विकास की सोच को अपनाएँ। यह बदलाव शिक्षा को अधिक जिम्मेदार, व्यवहारिक और भविष्य-केंद्रित बना रहा है।

Green Education India 2025

ग्रीन एजुकेशन का उद्देश्य है कि छात्रों को प्राकृतिक संसाधनों की समझ, स्थिरता की अवधारणा, और पर्यावरणीय जिम्मेदारी सिखाई जाए। स्कूलों में अब “ईको क्लब”, “वृक्षारोपण अभियान”, और “क्लाइमेट चेंज वर्कशॉप” जैसे कार्यक्रम आम हो गए हैं। साथ ही, पाठ्यक्रम में अब जल संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे विषय शामिल किए जा रहे हैं।

NEP 2020 ने भी पर्यावरण शिक्षा को प्राथमिकता दी है। अब NCERT की किताबों में “ग्रीन एक्टिविटीज़”, “स्थायी जीवनशैली” और “पर्यावरणीय नैतिकता” जैसे अध्याय जोड़े गए हैं। कई राज्य सरकारें स्कूलों को “ग्रीन स्कूल सर्टिफिकेशन” देने लगी हैं — जहाँ सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन और प्लास्टिक मुक्त परिसर को बढ़ावा दिया जाता है। साथ ही, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर भी पर्यावरण शिक्षा के लिए इंटरएक्टिव कोर्सेस उपलब्ध हैं।

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विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रीन एजुकेशन से छात्रों में सामाजिक जिम्मेदारी, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, और सतत विकास की समझ विकसित होती है। यह उन्हें केवल परीक्षा के लिए नहीं, बल्कि पृथ्वी के लिए सोचने वाला नागरिक बनाता है। साथ ही, यह शिक्षा को स्थानीय समस्याओं से जोड़ता है — जैसे जल संकट, वायु प्रदूषण और जैव विविधता की रक्षा।

Green Education India 2025

निष्कर्षतः, एजुकेशन और पर्यावरण का मेल अब समय की ज़रूरत है। जब छात्र ग्रीन सोच के साथ पढ़ाई करते हैं, तब वे केवल डिग्री नहीं, बल्कि धरती के भविष्य को भी बेहतर बनाते हैं। यही है ग्रीन एजुकेशन की ताकत — और यही है एक टिकाऊ, जागरूक और सशक्त भारत की दिशा।