High Court Property Dispute में जस्टिस फरजंद अली ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि समझौते पर आधारित डिक्री को केवल कब्जा देकर पूरा नहीं माना जा सकता।
🟨 मामला: पूजा बनाम महेंद्र सिंह
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक संपत्ति विवाद में अहम फैसला सुनाया है। जस्टिस फरजंद अली की कोर्ट ने स्पष्ट किया कि समझौते पर आधारित डिक्री को केवल कब्जा देकर पूरा नहीं माना जा सकता। जब तक डिक्री होल्डर को वैध स्वामित्व दस्तावेज नहीं मिलते, तब तक उसे डिक्री का वास्तविक लाभ नहीं मिलता।
🟨 ट्रायल कोर्ट ने दिया कब्जा, लेकिन दस्तावेज नहीं बने High Court Property Dispute
भीलवाड़ा की पूजा ने पैतृक संपत्ति के बंटवारे के लिए मुकदमा किया था। समझौते में दुकान नंबर 3 देने की बात हुई थी और गिफ्ट डीड बनाने पर सहमति बनी थी। ट्रायल कोर्ट ने कब्जा देने का आदेश दिया, लेकिन दस्तावेज नहीं बने। इससे पूजा को दुकान बेचने या लोन लेने में कठिनाई हुई।
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🟨 एडीजे कोर्ट ने किया आवेदन खारिज
एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज ने पूजा का आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कब्जा मिल चुका है और प्रतिवादी कोई बाधा नहीं डाल रहे। लेकिन हाईकोर्ट ने इस फैसले को गलत ठहराया।
🟨 हाईकोर्ट का निर्देश: डिक्री को शोपीस नहीं बनने देंगे High Court Property Dispute
हाईकोर्ट ने कहा कि डिक्री को दीवार पर टांगने वाला शोपीस नहीं बनने दिया जा सकता। गिफ्ट डीड का पूरा खर्च जजमेंट डेटर्स को उठाना होगा। कोर्ट ने एक्जीक्यूटिंग कोर्ट को निर्देश दिया कि वह रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी कराए और नगरपालिका से टाइटल दस्तावेज जारी करवाए।
