
Genda Plant Care and Festival Uses: गेंदा (Marigold), जिसे गेंदा फूल या Tagetes के नाम से जाना जाता है, भारतीय संस्कृति में सौंदर्य, शुभता और औषधीय गुणों का प्रतीक है। इसके चमकीले पीले और नारंगी फूल न केवल बगिचों को सजाते हैं, बल्कि दीवाली, नवरात्रि, गणेश चतुर्थी और विवाह समारोहों में भी विशेष स्थान रखते हैं। इसकी देखभाल आसान है और यह कम संसाधनों में भी भरपूर फूल देता है।
Genda Plant Care and Festival Uses
गेंदा को उगाने के लिए धूप वाली जगह सबसे उपयुक्त होती है। इसे रोज़ाना कम से कम 5–6 घंटे की सीधी धूप मिलनी चाहिए। मिट्टी हल्की, दोमट और जल निकासी वाली होनी चाहिए। बीजों को सीधे मिट्टी में बोया जा सकता है या पौधों की रोपाई की जा सकती है। फ्रेंच और अफ्रीकन गेंदा भारत में सबसे लोकप्रिय किस्में हैं। नियमित पानी देना ज़रूरी है, लेकिन मिट्टी को गीला नहीं रखना चाहिए — इससे जड़ें सड़ सकती हैं।
गेंदा की देखभाल में डेडहेडिंग यानी मुरझाए फूलों को हटाना बहुत ज़रूरी है। इससे पौधे की ऊर्जा नई कलियों पर केंद्रित होती है और फूलों की संख्या बढ़ती है। हर 15 दिन में जैविक खाद देने से पौधा स्वस्थ रहता है। यह पौधा कीट प्रतिरोधक भी होता है — इसकी तेज़ गंध मच्छरों और कीड़ों को दूर रखती है।

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त्योहारों में गेंदा फूल का उपयोग बेहद व्यापक है। इसे मंदिरों में पूजा, घर की सजावट, रंगोली, तोरण, और मूर्तियों की माला बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, गेंदा का रंग सूर्य देव और अग्नि का प्रतीक है, और इसे भगवान विष्णु, गणेश और लक्ष्मी को अर्पित करना शुभ माना जाता है। इसकी गोल आकृति जीवन की पूर्णता और ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है।
Genda Plant Care and Festival Uses
गेंदा फूल न केवल सौंदर्य और धार्मिकता का प्रतीक है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी उल्लेखनीय हैं। आयुर्वेद के अनुसार, इसके फूलों और पत्तियों में एंटीसेप्टिक, एंटीबैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह त्वचा रोग, घाव, सूजन और मूत्र संबंधी समस्याओं में उपयोगी है। इसके पत्तों का चूर्ण और फूलों का अर्क घरेलू उपचारों में भी इस्तेमाल किया जाता है।