
No-Code Low-Code India: क्या आपको ऐप बनाने के लिए अब कोडिंग सीखने की ज़रूरत है? 2025 में जवाब है — नहीं। नो-कोड और लो-कोड प्लेटफॉर्म्स ने तकनीक की दुनिया में एक क्रांति ला दी है, जहाँ अब कोई भी व्यक्ति — चाहे वह डेवलपर हो या बिज़नेस प्रोफेशनल — सिर्फ ड्रैग-एंड-ड्रॉप से ऐप, वेबसाइट, ऑटोमेशन और डैशबोर्ड बना सकता है।
भारत में इस ट्रेंड को तेजी से अपनाया जा रहा है। स्टार्टअप्स, MSMEs और यहां तक कि सरकारी विभाग भी अब Zoho Creator, Microsoft Power Apps, AppSheet, Bubble और Glide जैसे प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर रहे हैं — जिससे विकास की गति तेज़, लागत कम और निर्भरता घट रही है।
No-Code Low-Code India
नो-कोड प्लेटफॉर्म्स में यूज़र को कोई कोड लिखने की ज़रूरत नहीं होती — वे विज़ुअल इंटरफेस से काम करते हैं। वहीं लो-कोड प्लेटफॉर्म्स डेवलपर्स को बेसिक कोडिंग के साथ एडवांस कस्टमाइज़ेशन की सुविधा देते हैं। इससे बिज़नेस और टेक टीमों के बीच सहयोग बढ़ता है, और प्रोजेक्ट्स जल्दी लॉन्च होते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 तक भारत में 60% से अधिक ऐप्स नो-कोड या लो-कोड प्लेटफॉर्म्स पर बनाए जा रहे हैं। इससे टेक्नोलॉजी लोकतांत्रिक हो रही है — यानी अब तकनीक केवल इंजीनियरों की नहीं, बल्कि हर किसी की पहुँच में है।
Read More: बिज़नेस में ऑटोमेशन: वरदान या नौकरियों का संकट?
🧩 नो-कोड/लो-कोड प्लेटफॉर्म्स के प्रमुख लाभ
No-Code Low-Code India
🚀 लाभ | ✅ विवरण |
---|---|
तेज़ डिप्लॉयमेंट | हफ्तों का काम अब घंटों में |
कम लागत | डेवलपर टीम की ज़रूरत कम |
सहयोग बढ़ाना | बिज़नेस और टेक टीम साथ काम कर सकते हैं |
प्रोटोटाइपिंग आसान | आइडिया को जल्दी टेस्ट किया जा सकता है |
स्केलेबिलिटी | बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए भी उपयुक्त |
इंटीग्रेशन सपोर्ट | API, डेटाबेस और थर्ड पार्टी टूल्स से कनेक्टिविटी |