नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल, अभ्यर्थियों में नाराज़गी
विवाद के चलते मेडिकल शिक्षा व्यवस्था पर असर
Rajasthan Medical College: जयपुर। राजस्थान सरकार ने हर जिले में शुरू किए गए नए मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) के आदेशों के तहत ग्रुप-2 के स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स को अनुभव के आधार पर असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया जा रहा है। लेकिन इस फैसले का ग्रुप-1 डॉक्टर्स (राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन) ने विरोध किया है।
🧑⚕️ विवाद के मुख्य बिंदु
📌 ग्रुप-1 डॉक्टर्स का विरोध
- बिना RPSC परीक्षा के नियुक्ति से शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर
- ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल सेवाएं प्रभावित होंगी
- रिसर्च कार्य बाधित होगा, क्योंकि अनुभव की कमी
- आंदोलन की चेतावनी दी गई है
✅ ग्रुप-2 डॉक्टर्स का पक्ष
- UG स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए फैकल्टी की कमी
- सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं
- RPSC की भर्ती प्रक्रिया लंबी और खर्चीली
- PHC/CHC में तैनात डॉक्टर्स की उपयोगिता सीमित, कॉलेजों में बेहतर योगदान
- मरीजों को मिलेगा सीधा लाभ
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Rajasthan Medical College: 📜 एनएमसी के नए नियम (जून 2025)
| अनुभव | पद |
|---|---|
| 2+ साल, 220+ बेड हॉस्पिटल | असिस्टेंट प्रोफेसर |
| 10+ साल, 220+ बेड हॉस्पिटल | एसोसिएट प्रोफेसर |
🕰️ पिछली नियुक्तियाँ और मान्यता
- 2018 और 2022 में भी इसी तरह की नियुक्तियाँ हुई थीं
- वन टाइम ऑप्शन देकर कई ग्रुप-2 डॉक्टर्स को फैकल्टी बनाया गया
- सरकारी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता इन्हीं नियुक्तियों के आधार पर मिली
📢 शिक्षा विभाग का रुख
“राज्य में मेडिकल शिक्षा को मजबूत करने के लिए यह कदम जरूरी है। फैकल्टी की कमी दूर करने के लिए अनुभवी डॉक्टर्स को नियुक्त किया जा रहा है।” — स्वास्थ्य विभाग सूत्र
नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल, अभ्यर्थियों में नाराज़गी
अभ्यर्थियों का कहना है कि राजस्थान मेडिकल कॉलेज नियुक्ति प्रक्रिया में कई योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर दिया गया। वहीं कुछ को बिना तय नियमों का पालन किए चयनित कर लिया गया। इससे ग्रुप-2 डॉक्टर्स भर्ती विवाद लगातार बढ़ रहा है और अभ्यर्थियों में असंतोष गहराता जा रहा है।
ग्रुप-2 डॉक्टर्स की भर्ती नियमों पर उठे सवाल
स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि सभी नियुक्तियां नियमों के अनुसार की गई हैं। लेकिन असंतुष्ट अभ्यर्थियों ने भर्ती की जांच की मांग करते हुए इसे अदालत तक ले जाने की चेतावनी दी है।
