
Social Engineering Cybersecurity India: साइबर सुरक्षा में सबसे बड़ी चुनौती तकनीक नहीं — बल्कि इंसानी व्यवहार है। 2025 में साइबर हमलों का सबसे आम और खतरनाक तरीका बन चुका है सोशल इंजीनियरिंग — जिसमें हैकर्स तकनीकी सुरक्षा को नहीं, बल्कि इंसानों को निशाना बनाते हैं। ये हमले धोखे, भावनात्मक दबाव और विश्वास के ज़रिए यूज़र से संवेदनशील जानकारी हासिल करते हैं।
सोशल इंजीनियरिंग अटैक्स अब पहले से कहीं ज़्यादा परिष्कृत हो चुके हैं। फिशिंग ईमेल्स अब AI से लिखे जाते हैं, जो यूज़र की भाषा, व्यवहार और पसंद को ध्यान में रखकर तैयार होते हैं। व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और SMS जैसे प्लेटफॉर्म्स पर नकली लिंक, फर्जी ऑफर और इमरजेंसी मैसेज भेजकर यूज़र को डराया जाता है — जिससे वे अनजाने में अपना डेटा, OTP या पासवर्ड साझा कर देते हैं।
Social Engineering Cybersecurity India
भारत में हाल ही में कई बैंकिंग और हेल्थ ऐप्स के यूज़र्स को ऐसे हमलों का सामना करना पड़ा है — जहाँ उन्हें “KYC अपडेट” या “रिफंड क्लेम” के नाम पर फंसाया गया। CERT-In ने बताया कि 2025 की पहली छमाही में सोशल इंजीनियरिंग से जुड़े साइबर फ्रॉड्स में 52% की वृद्धि हुई है। इसके जवाब में अब कई संस्थाएँ साइबर जागरूकता ट्रेनिंग, फिशिंग सिमुलेशन और व्यवहारिक सुरक्षा उपायों को लागू कर रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीक चाहे कितनी भी मजबूत हो — अगर यूज़र सतर्क नहीं हैं, तो सुरक्षा तंत्र टूट सकता है। यही कारण है कि अब साइबर सुरक्षा में “Human Firewall” की अवधारणा को बढ़ावा दिया जा रहा है — यानी हर व्यक्ति को डिजिटल दुनिया में एक सक्रिय रक्षक बनना होगा।
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🧠 सोशल इंजीनियरिंग से बचाव के उपाय
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🔐 उपाय | ✅ विवरण |
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फिशिंग से सतर्कता | अनजान ईमेल, लिंक और अटैचमेंट से बचना |
OTP और पासवर्ड साझा न करें | कोई भी संस्था फोन या मैसेज से यह नहीं मांगती |
साइबर जागरूकता ट्रेनिंग | कर्मचारियों और परिवार को धोखाधड़ी की पहचान सिखाना |
फर्जी कॉल्स और मैसेज रिपोर्ट करें | CERT-In या संबंधित प्लेटफॉर्म पर शिकायत दर्ज करें |
2FA और सिक्योर लॉगिन अपनाएँ | मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन से सुरक्षा बढ़ाएँ |
सोशल मीडिया पर सीमित जानकारी साझा करें | जन्मतिथि, लोकेशन और निजी जानकारी को निजी रखें |