Study Abroad Trends: वैश्विक शिक्षा परिदृश्य में 2025 में कई बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। अब छात्र केवल पारंपरिक देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन या ऑस्ट्रेलिया तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जापान, जर्मनी, आयरलैंड, इटली और स्पेन जैसे नए विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं। बदलते वीज़ा नियम, आवास की चुनौतियाँ और पोस्ट-स्टडी वर्क वीज़ा की नीतियाँ छात्रों की पसंद को प्रभावित कर रही हैं। ऐसे में विदेशों में पढ़ाई के नए ट्रेंड्स को समझना ज़रूरी हो गया है।
Study Abroad Trends
अब शिक्षा केवल डिग्री तक सीमित नहीं रही — स्किल-बेस्ड माइक्रो कोर्सेस, हाइब्रिड लर्निंग मॉडल, और इंटरडिसिप्लिनरी स्टडीज़ का चलन बढ़ रहा है। छात्र अब कोडिंग, डेटा साइंस, डिज़ाइन थिंकिंग, और सस्टेनेबिलिटी जैसे विषयों को प्राथमिकता दे रहे हैं। साथ ही, कई विश्वविद्यालय अब टेस्ट-ऑप्शनल एडमिशन और फ्लेक्सिबल क्रेडिट सिस्टम अपना रहे हैं।
कॉमन ऐप के अनुसार, 2025 में रिकॉर्ड 85 लाख से अधिक आवेदन दर्ज हुए हैं — जिसमें पहली बार कॉलेज जाने वाले छात्रों की संख्या में 13% की वृद्धि देखी गई। साथ ही, अंडर-रिप्रेजेंटेड समुदायों और कम आय वाले क्षेत्रों से आवेदन भी बढ़े हैं। यह दर्शाता है कि वैश्विक शिक्षा अब अधिक समावेशी और विविधतापूर्ण हो रही है। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और स्कॉलरशिप प्रोग्राम्स इस बदलाव को गति दे रहे हैं।
Study Abroad Trends
एक और बड़ा ट्रेंड है — शिक्षा ऋण और फाइनेंशियल प्लानिंग की बढ़ती मांग। विदेशी विश्वविद्यालयों की बढ़ती फीस और जीवन-यापन की लागत के चलते छात्र अब एडवांस फाइनेंसिंग विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। साथ ही, कई देश अब पोस्ट-स्टडी वीज़ा को सरल बना रहे हैं, जिससे छात्र पढ़ाई के बाद काम करने और स्थायी निवास की दिशा में सोच सकें।
Read More: एडटेक कंपनियों का भविष्य: शिक्षा का डिजिटल विस्तार
निष्कर्षतः, विदेशों में पढ़ाई के नए ट्रेंड्स केवल शिक्षा के स्वरूप को नहीं, बल्कि छात्रों की सोच, तैयारी और करियर की दिशा को भी बदल रहे हैं। यह बदलाव दर्शाता है कि वैश्विक शिक्षा अब अधिक लचीली, समावेशी और कौशल-केंद्रित हो रही है — और भारत के छात्र इस बदलाव का सक्रिय हिस्सा बनते जा रहे हैं।
